नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईबी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर समेत कुल दस एजेंसियों को किसी भी कॉल या डेटा को इंटरसेप्ट करने का अधिकार दिया है. इसके लिए अब केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी. गृह सचिव राजीव गोबा के हस्ताक्षर वाले नोटिफेकेशन को कल जारी किया गया. गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, देश की 10 सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी दस्तावेज को देख सकती है.



10 एजेंसियों में सूचना ब्यूरो (आईबी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, मंत्रिमंडल सचिवालय (रॉ), सिग्नल एंटेलिजेंस निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम सेवा क्षेत्रों के लिए), दिल्ली पुलिस आयुक्त शामिल है.


सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और एआईएमआईएम ने विरोध किया है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार भारत को सर्विलांस स्टेट बनाना चाहती है.


कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ''इस मामले की पूरी जानकारी हमारे पास नहीं है. लेकिन अगर कोई आपके कंप्यूटर को मॉनिटर कर रहा है तो हम ऑरवेलियन स्टेट की तरफ जा रहे हैं.''





दरअसल, जॉर्ज ऑरवेल ने एक किताब लिखी थी जिसका शीर्षक था- 1984. इसमें समय से आगे एक समय की कल्पना की गई है, जिसमें राज सत्ता लोगों को आजादी देने के पक्ष में नहीं है. जिसकी वजह से वह नागरिकों पर नजर रखती है.


वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि किसे पता था कि घर घर मोदी का मतलब क्या था.






ध्यान रहे कि 2014 लोकसभा चुनाव के समय 'हर-हर मोदी, घर-घर मोदी' जैसे नारे काफी प्रचलित हुए थे. ओवैसी ने कहा, ''मोदी ने सरकारी आदेश के जरिए हमारे राष्ट्रीय एजेंसियों को हमारे कम्यूनिकेशन की जासूसी करने के लिए कहा है.''