हैदराबाद: भारत और चीन के बीच पिछले एक महीने से लद्दाख बॉर्डर पर चल रहा विवाद सुलझा नहीं है. हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच बात हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. अब एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर सरकार की चुप्पी का कारण पूछा है. ओवैसी ने कहा कि सरकार की चीन के साथ क्या बात हुई है, सरकार चुप क्यों है.


असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "सीमा विवाद पर भारत और चीन की सेना के बीच बातचीत हुई. केंद्र सरकार को देश को बताना चाहिए कि उनकी चीनियों से क्या बात हुई. वे क्यों शर्मिंदा हैं और चुप्पी क्यों बनाए हुए हैं? हमें बताइए कि क्या लद्दाख में चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है."


भारत और चीन के बीच बेनतीजा रही बैठक
पूर्वी लद्दाख में करीब एक महीने से सीमा पर जारी गतिरोध को खत्म करने के किए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों ने शनिवार को एक बैठक की जोकि बेनतीजा रही. चुशुल-मोल्डो इलाके में छह घंटे तक हुई बातचीत के बाद भी न तो चीन अप्रैल पूर्व स्थिति में अपने सैनिकों को लौटाने पर राजी हुआ है और न ही अपने ऐतराज कम करने पर. हालांकि दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि मौजूदा प्रक्रियाओं के तहत मामले को सुलझाने के लिए कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर संवाद बनाए रखेंगे. भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया.


चुशूल-मोल्डो इलाके में सैन्य कमांडरों के बीच हुई उच्च स्तरीय वार्ता पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत सौहार्द्रपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई. साथ ही दोनों देश सैन्य तनाव की स्थिति को मौजूदा समाधान तंत्र के सहारे सुलझाने पर सहमत हैं. भारत और चीन ने इस बारे में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखने का भी बात कही है.


बता दें, दोनों देशों के बीच बीते एक माह के दौरान सिक्किम के नाकुला से लेकर पैंगोग झील और लद्दाख में गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प और आमने-सामने के तनाव की स्थिति बनी हुई है. गलवान घाटी में अब भी चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने की स्थिति में तंबू लगाए बैठे हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिक अपनी हद में हैं और भारतीय सैनिक अपनी हद में. भारत की सड़क और सैन्य ढांचागत परियोजनाओं पर ऐतराज जता रहे चीन ने अपनी सैनिक मोर्चाबंदी की है. वहीं जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैनिक भी उतनी ही संख्या में कुछ दूरी पर तंबू लगाकर तैनात हैं.


ये भी पढ़ें-