Namaz Controversy: घर पर सामूहिक नमाज़ पढ़ने पर छिड़ा विवाद, असदुद्दीन ओवैसी बोले-...तो क्या सड़क पर पढूं
Asaduddin Owaisi News: मुरादाबाद में घर में सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. इस मामले में 26 लोगों पर एफआईआर दर्ज है. अब इस पूरे विवाद में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री हो गई है.
Namaz Controversy In Moradabad: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Moradabad) में एक घर में सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने वाले 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं इस मामले में अब राजनीति शुरू हो गई है. एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सरकार को आड़े हाथों लिया है.
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा, 'मेरा अधिकार है कि मैं अपने घर पर नमाज पढ़ सकता हूं. अगर मैं अपने घर पर नहीं नमाज पढूंगा तो क्या सड़क पर पढूंगा. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नमाज कहीं भी पढ़ सकते हैं. आप तो चारो तरफ से हमें दबा रहे हैं.'
मेरा अधिकार है कि मैं अपने घर पर नमाज पढ़ सकता हूं। अगर मैं अपने घर पर नहीं नमाज पढूंगा तो क्या सड़क पर पढूंगा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नमाज कहीं भी पढ़ सकते हैं। आप तो चारो तरफ से हमें दबा रहे हैं: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, हैदराबाद, तेलंगाना https://t.co/cFyZAmQyhp pic.twitter.com/SThsI4SC6R
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 29, 2022
ओवैसी ने पीएम मोदी से किया सवाल
ओवैसी ने इससे पहले भी इस मामले में पीएम मोदी से सवाल किया था. उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'क्या अब घरों में भी नमाज़ पढ़ने के लिए सरकार और पुलिस (Police) से इजाज़त लेनी पड़ेगी और कब तक मुस्लिमों के साथ देश मे दूसरे दर्जे के नागरिकों वाला सलूक किया जाएगा?'
आखिर नमाज़ को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद?
चलिए अब आपको इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी देते हैं. मुरादाबाद के थाना छजलैट के गांव दुल्हेपुर में बिना मस्जिद-मदरसे के एक घर में सामूहिक नमाज पढ़ने का एक वीडियो सामने आया था. मुस्लिम लोगों ने वीडियो को स्वीकार किया, लेकिन वीडियो को 3 जून की नमाज का बताया है. उसके बाद कोई नमाज सामूहिक रूप से गांव में नहीं हुई.
वहीं इस पूरे मामले में हिन्दू पक्ष का कहना है कि नमाज का ये वीडियो 3 जून का है, लेकिन अभी भी सामूहिक रूप से नमाज जारी है इसलिए पुलिस में शिकायत की गई. गांव में रहने वाले हिन्दू पक्ष के लोगों का कहना है कि गांव में कोई मस्जिद या मदरसा नहीं है और न ही गांव में कोई मंदिर है. हम लोग एक किलोमीटर दूर दूसरे गांव में पूजा करने जाते हैं.
'सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ना सही नहीं है'
हिन्दू पक्ष के लोगों का आरोप है कि यहां के मुस्लिम लोग इकट्ठा होकर नई परंपरा के तहत घरों में सामूहिक नमाज पढ़ रहे हैं जो सही नहीं है. हमारा भी गांव में कोई मंदिर नहीं है लिहाजा हम पास के गांव में पूजा करने व जल चढ़ाने जाते हैं. हम कोई नई परंपरा डालना नहीं चाहते. हमने जब नमाज को मना किया तो ये नहीं माने, जिसके बाद पुलिस में इसकी शिकायत करनी पड़ी.
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