नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा चुनाव करीब साल भर दूर हैं, लेकिन वहां नए राजनीतिक समीकरण अभी से बनने लगे हैं. असदुद्दीन ओवैसी जय भीम और जय मीम के फार्मूले पर एक नया मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीवन राम मांझी के साथ वे जल्द ही मंच साझा करने वाले हैं. 29 दिसंबर को किशनगंज में ओवैसी ने एक रैली बुलाई है. नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल मांझी ने भी इसमें जाने का एलान कर दिया है. हम पार्टी के अध्यक्ष मांझी ने तो तेजस्वी यादव को भी इस रैली में चलने को कहा है. उनके इस फैसले से कांग्रेस नाराज है.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बिहार में पांव पसारने की फिराक में है. हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में पार्टी ने किशनगंज की सीट जीत ली. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने राज्य की 39 सीटें जीत ली थीं, सिर्फ किशनगंज की सीट बीजेपी गठबंधन नहीं जीत पाई. यहां पर एआईएमआईएम का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा और कांग्रेस जीतने में कामयाब रही.
महाराष्ट्र के बाद ओवैसी की नजर अब बिहार और बंगाल पर है. उन्हें लग रहा है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी के अच्छे दिन आ सकते हैं. खास तौर से मुस्लिम बहुल इलाकों में. महाराष्ट्र में इस बार भी वे विधानसभा की दो सीटें जीतने में कामयाब रहे. पिछली बार भी यही आंकड़ा था. हैदराबाद के अलावा महाराष्ट्र के औरंगाबाद से एआईएमआईएम के लोकसभा सांसद हैं. ये मुमकिन हो पाया जय भीम, जय मीम के नारे के सहारे.
जय भीम का मतलब हुआ जय बाबा साहेब अंबेडकर. जय मीम का नारा मुस्लिम समाज के लिए है. दलित और मुस्लिम गठजोड़ के भरोसे असदुद्दीन ओवैसी बिहार में राजनैतिक जमीन तैयार कर रहे हैं. पहली सफलता जीतन राम मांझी के समर्थन से मिली है. बिहार के छह से सात जिलों में मांझी यानी मुसहरों की अच्छी खासी आबादी है.
मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान का कहना है कि जो भी नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध करेगा, हम उसके साथ हैं, लेकिन महागठबंधन में रहते हुए मांझी के ओवैसी के साथ मंच पर जाने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. आरजेडी को लगता है इससे आखिरकार बीजेपी के ही फायदा होगा. पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा का मानना है कि बीजेपी और ओवैसी दो धारी तलवार हैं. मैं तो मांझी जी से यही कहूंगा कि आपके ऐसा करने से बीजेपी ही मजबूत होगी. कांग्रेस भी इस फैसले से नाराज है.
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