Owaisi Ayodhya Visit: हैदराबाद वाले असदुद्दीन ओवैसी यूपी में वोट की ख़ातिर फ़ैज़ाबाद वाले हो गए हैं. जाना उन्हें अयोध्या है लेकिन बता रहे हैं फ़ैज़ाबाद. आप सोचते होंगे कि नाम में क्या रखा है? पर चुनाव में तो नाम भी काम कर जाता है. नाम का दाम और ईनाम भी मिलता है ईनाम मतलब वोट.


बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी इस बात को बखूबी जानते हैं इसीलिए दुनिया जिसे अयोध्या कहती है, उसे वे फ़ैज़ाबाद बता रहे हैं. एक बार नहीं कई बार उन्होंने ऐसा ही कहा. लोगों ने टोका कि नाम बदल गया है तो जनाब बोले नहीं मैं फ़ैज़ाबाद जा रहा हूं.


ओवैसी का चुनावी यात्रा का फ़ोकस अयोध्या है


एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी तीन दिनों के दौरे पर कल मतलब मंगलवार को यूपी पहुंच रहे हैं. इस बार की उनकी चुनावी यात्रा का फ़ोकस अयोध्या है जिसे उन्होंने फ़ैज़ाबाद बना कर चुनावी दांव आज़माया है. इसी दांव में अयोध्या में मस्जिद गिराने की घटना को वे शहादत बता रहे हैं.


सियासत की लैला असदुद्दीन ओवैसी के मजनू तो बीजेपी वाले भी हैं और समाजवादी पार्टी के भी. कांग्रेस के भी और बीएसपी के भी. अयोध्या के राम मंदिर की कृपा से भगवाधारी पार्टी यूपी की सत्ता में है तो ओवैसी बाबरी मस्जिद के नाम पर चमत्कार की आस में हैं. पूरा मामला वोटों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का है. मतलब हिंदू और मुसलमान के वोटों का बंटवारा इसीलिए विपक्ष ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताता है लेकिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि ओवैसी राष्ट्रीय नेता हैं और उनका अपना जनाधार है. अब आरोप जो भी लगे लेकिन सच तो ये भी है कि जहां ओवैसी की पार्टी नहीं होता वहां भी तो बीजेपी जीत रही है.


अयोध्या के साधु संतों ने ओवैसी पर बैन लगाने लगाने की बात की


जब पूरे देश को पता है कि योगी सरकार ने नवंबर 2018 में ही फ़ैज़ाबाद का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया था तो फ़ैज़ाबाद नाम के चुनावी उबाल पर अयोध्या में बवाल मचा है. अयोध्या के साधु संत उन पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं. वे कहते हैं कि अयोध्या को फ़ैज़ाबाद कहना हिंदू धर्म का अपमान है लेकिन वाराणसी के संत रितेश्वर महाराज कहते हैं कि ओवैसी को अयोध्या जाना चाहिए. आख़िर उनके पूर्वज भी तो हिंदी थे.


एआईएमआईएम के सदर असदुद्दीन ओवैसी 7 सितंबर को लखनऊ पहुंच रहे हैं. पहले प्रेस कंफ़्रेंस करेंगे फिर उसी दिन अयोध्या के मुस्लिम बहुल इलाक़े रूदौली में सभा करेंगें. तीन दिनों के लिए वे यूपी की चुनावी यात्रा पर पहुंचे रहे हैं. उनके आने की आहट से ही समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ जाती है. सारा मसला मुस्लिम वोटरों का है. मसला यूपी के क़रीब बीस प्रतिशत मुसलमान वोटरों का है जो अपने-अपने हिसाब से राजनीति का गुणा गणित समझ रहे हैं.


बिहार में ओवैसी की पार्टी ने कमाल करते हुए पांच सीटें जीत लीं. बंगाल में ममता बनर्जी और बीजेपी के झगड़े में उनकी पतंग कट गई अब सारी उम्मीदें यूपी पर टिकी हैं.