नई दिल्ली: लोकसभा में आधार संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि सरकार भले ही इस बिल को सदन से पारित करा ले, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आगे यह बिल टिक नहीं पाएगा.


संसद में चर्चा के दौरान ओवैसी ने आधार संशोधन बिल को ‘हलाला’ से जोड़ दिया. उन्होंने कहा, “यह हलाला का क्लासिक उदाहरण है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि सरकारी डाटा प्राइवेट कंपनियों को नहीं दिया जा सकता, तो सरकार और प्राइवेट कंपनियों के बीच शादी टूट गई है और यह हलाला का क्लासिक केस बन चुका है.”


असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार प्राइवेट कंपनियों के इशारों पर नाच रही है और उसे निजता की सुरक्षा की कोई फिक्र नहीं है. ओवैसी के बयान के ठीक बाद बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि हलाला प्रथा खत्म होने वाली है.


लोकसभा में पास हुआ बिल
चर्चा के बाद लोकसभा में आधार और अन्य कानून (संशोधन) बिल 2019 पास हो गया है.


बिल की मुख्य बातें
आधार धारक नाबालिग 18 साल का होने पर अपनी आधार संख्या रद्द करा सकेंगे.


बैंक खाता, मोबाइल फोन कनेक्शन जैसी सेवाओं के लिए आधार स्वैच्छिक होगा.


आधार प्रस्तुत नहीं करने वाले को किसी भी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता.


आधार संख्या के उपयोग के लिए निर्धारित नियमों को तोड़ने पर सख्त सजा होगी.


12 जून को आधार संशोधन बिल को मिली थी कैबिनेट की मंजूरी
बता दें कि इसी साल 12 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने आधार संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी. बिल में संशोधन के बाद यदि किसी अन्य कानून की बाध्‍यता न हो तो किसी व्‍यक्ति को अपनी पहचान साबित करने के लिए आधार नंबर दिखाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा.