Asaduddin Owaisi On CAA Implementation: 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को देशभर में लागू कर दिया है. इस पर AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी हमलावर हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस अधिनियम के जरिए मुसलमान समुदाय को टारगेट करना ही बीजेपी का मकसद है. उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि सीएए के जरिए धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करने की कोशिश हो रही है. ओवैसी ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का एकमात्र मकसद मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना है.
क्या कहना है ओवैसी का ?
उन्होंने कहा कि सीएए में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है. यह देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है. इसके साथ ही उन्होंने कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए कहा कि अभी लाखों कश्मीरी पंडित भी कश्मीर से बाहर हैं उनको भी कश्मीर में लाकर बसाना चाहिए, लेकिन क्यों उन्हें कश्मीर नहीं ले जाते और दूसरे देशों से आए लोगों को नागरिकता देने की बात कर रहे हैं? ओवैसी ने कहा कि नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए.
'मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहते हैं'
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, " सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता है. सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है? उन्होंने कहा कि एनपीआर एनआरसी के साथ सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.
बता दे कि भारत सरकार ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर सीएए लागू कर दिया है. रूल जारी किए जाने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 तक पड़ोसी देश- बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासी- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.