Asaduddin Owaisi Questions Supreme Court Verdict: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. सोमवार (11 दिसंबर) को प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ में साफ कर दिया कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने में किसी संवैधानिक दायरे का उल्लंघन नहीं हुआ है.
अब इस पर एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर 6 बिंदुओं में अपनी बात रखकर चीफ जस्टिस पर भी सवाल खड़े किए है.
सीजेआइ की सार्वजनिक टिप्पणी का किया जिक्र
पेशे से अधिवक्ता ओवैसी ने लिखा है, "2019 में सीजेआई ने एक सेमिनार में कहा था कि "सार्वजनिक विचार-विमर्श उन लोगों के लिए हमेशा खतरा रहेगा जिन्होंने इसकी अनुपस्थिति में सत्ता हासिल की है. सवाल यह है कि क्या आप पूरे राज्य में कर्फ्यू लगाकर किसी राज्य की विशेष स्थिति को रद्द कर सकते हैं? वह भी तब जब राज्य में अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) निर्वाचित विधानसभा के बिना लागू किया गया है? 5 अगस्त (2019) को कश्मीर में विचार-विमर्श करने का अधिकार किसे था?"
"भारत सरकार ने कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया"
उन्होंने आगे लिखा है, "बोम्मई फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संघवाद संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. संघवाद का अर्थ है कि राज्य की अपनी आवाज है और अपनी क्षमता के क्षेत्र में उसे कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता है. ऐसा कैसे हो सकता है कि राज्य के लिए विधानसभा की जगह संसद फैसले ले? ऐसा कैसे है कि संसद उस प्रस्ताव को पारित कर सकती है जिसे संविधान में विधानसभा द्वारा पारित किया जाना था? मेरे लिए, जिस तरह से 370 को हटाया गया वह संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन था. इससे भी बुरी बात यह है कि जम्मू कश्मीर की पूर्ण राज्य की मान्यता रद्द कर दी गई. राज्य को विभाजित करना और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाना उस वादे के साथ एक बड़ा विश्वासघात है जो भारत सरकार ने कश्मीर के लोगों से किया था."
"केंद्र सरकार को चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता"
ओवैसी ने यह भी कहा,' मैं इसे फिर से कहूंगा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को एक बार वैध कर दिया गया, तो केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता. " उन्होंने यह भी दावा किया कि लद्दाख का अपना कोई लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व नहीं है.
"इसमें संदेह नहीं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग"
हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, "इसमें कोई संदेह नहीं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. लेकिन अभिन्न अंग होने का मतलब यह नहीं है कि इसका संघ के साथ कोई अलग संवैधानिक रिश्ता नहीं था. कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद इस संवैधानिक संबंध को स्थायी बना दिया गया.
"सबसे अधिक नुकसान बौद्धों को होगा"
उन्होंने अपने ट्वीट में दावा किया है कि संघ के फैसले का सबसे बड़ा नुकसान जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्धों को होगा, जिन्हें जनसांख्यिकीय बदलाव का सामना करना पड़ेगा.
उसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की समय सीमा तय करने की मांग की और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग को भी दोहराया है. आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी मायूसी जाहिर की है.