Asaduddin Owaisi On SC Decision: एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने गुरुवार (15 फरवरी) को इस संबंध में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करके अपने प्रतिक्रिया दी.


ओवैसी ने कहा है, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. सुप्रीम कोर्ट ने न केवल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराया है बल्कि उस संशोधन को भी असंवैधानिक ठहराया है जिसने असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग की अनुमति दी है."


'2017 के बाद चुनाव की वैधता पर क्या कहेंगे?'
ओवैसी ने कहा कि यदि उपरोक्त दोनों असंवैधानिक हैं और यदि ये अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करते हैं तो हमें 2017 के बाद से चुनावों की वैधता के बारे में क्या कहना चाहिए? क्या ये 2017 के बाद से चुनावों की वैधता और पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्नचिह्न नहीं हैं?"


उन्होंने कहा है कि इलेक्शन वॉचडॉग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 के लिए राष्ट्रीय पार्टियों की ओर से घोषित कुल चंदा 850.438 करोड़ रुपये था, जिसमें से 719.858 करोड़ रुपये अकेले बीजेपी को मिले.


'देर से आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला'
असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बहुत देर से आया है. इसे जल्दी आना चाहिए था, लेकिन यह फैसला बताता है कि सत्तारूढ़ सरकार में क्या गलत है. उन्होंने कहा कि यह फैसला बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'सभी के लिए विकास और किसी के लिए तुष्टीकरण नहीं' की अपनी नीति को ही दरकिनार कर रहे हैं. मुट्ठीभर कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाया जा रहा.


उन्होंने कहा कि इन्हीं कॉर्पोरेट घरानों ने बीजेपी को चंदा दिया. अकेले बीजेपी को चुनावी बॉन्ड योजना के तहत अधिकांश धनराशि (12 हजार करोड़ में से 6500 करोड़) प्राप्त हुई.





'मैंने किया था चुनावी बांड का विरोध'

असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा, "मैंने 2017 में संसद में चुनावी बॉन्ड का विरोध किया था. मैंने 2017 में सभी कॉर्पोरेट फंडिंग का विरोध किया था. मैंने लगातार इसका विरोध किया है.''


'संशोधन के लिए धर्मनिरपेक्ष पार्टियां आईं साथ'
ओवैसी ने यह भी कहा, ''मेरे लिए हास्यास्पद बात यह है कि बीजेपी और 'धर्मनिरपेक्ष' पार्टियां 2016 में एफसीआरए में संशोधन करने के लिए एक साथ आईं ताकि निगमों द्वारा राजनीतिक दलों की विदेशी फंडिंग की अनुमति दी जा सके. मैंने संसद में इसका विरोध किया, लेकिन चूंकि बी-टीम और ए-टीम दोनों को वेदांत से धन प्राप्त करने के लिए अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था, इसलिए उन्होंने तुरंत कानून बदल दिया.''


उन्होंने कहा, ''कालाधन भी सिर्फ काला नहीं, इसमें काला के पचास अलग-अलग रंग हैं. जब काला धन बीजेपी के पास जाता है तो वह राष्ट्रवादी होता है, जब वह 'धर्मनिरपेक्ष पार्टियों' के पास जाता है तो वह धर्मनिरपेक्ष होता है. कुछ काला धन कानूनी है और कुछ काला है.''


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