नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पर असदुद्दीन ओवैसी ने साफ किया रुख, 'महिला आरक्षण बिल के अंदर...'
Women Reservation Bill: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन) को लेकर मंगलवार (19 सितंबर) को रुख साफ किया.
Asaduddin Owaisi On Women Reservation Bill: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (19 सितंबर) को महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को लेकर सरकार के सामने मांग रखी. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल के अंदर मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कोटा हो.
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ''आप किसे प्रतिनिधित्व दे रहे हैं? जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है. उन्हें प्रतिनिधित्व दिया जाए जिनका कि प्रतिनिधित्व नहीं है. इस बिल में बड़ी खामी यह है कि इसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं है. इस कारण हम इसके खिलाफ हैं.''
नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लोकसभा में मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्यसभा में उम्मीद जताई कि महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास होगा.
विपक्ष क्या कहा रहा है?
कांग्रेस ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को चुनावी जुमला करार देते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार का यह कदम ‘ईवीएम (इवेंट मैनेजमेंट)’ है.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘ चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है.’’
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आतिशी ने भी ये बात दोहराई. उन्होंने कहा कि यह महिला आरक्षण विधेयक नहीं, बल्कि महलिओं को बेवकूफ बनाने वाला बिल है. उन्होंने आगे कहा कि हम नैतिक तौर पर नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन करते हैं.
क्या प्रावधान है?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार (18 सितंबर) को महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी थी. राज्यसभा से 2010 में पारित महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था.
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