Karnataka Assembly Election: इस साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की एंट्री से कांग्रेस को झटका लग सकता है. एआईएमआईएम उत्तर कर्नाटक की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. इससे कांग्रेस को डर है कि दलित और मुस्लिम वोट बंट जाएंगे.
एआईएमआईएम ने बेलागावी उत्तर सीट, हुबली धारवाड़ पूर्व और विजयपुरा जिले की बागेवाड़ी सीट से उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं. पार्टी चुनाव में 20 और सीटों पर कैंडिडेट उतारने की तैयारी में है. एआईएमआईएम पहली बार कर्नाटक चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने साल 2018 के चुनाव में जेडीएस का समर्थन किया था.
कांग्रेस की चिंता का क्या कारण है?
कांग्रेस को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के चुनावी लड़ने से चिंता है कि उसे इससे मुस्लिम और दलित वोट नहीं मिलेंगे क्योंकि पार्टी जय भीम,जय मीम के नारे के साथ इन दोनों वर्ग तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
एआईएमआईएम ने क्या कहा?
एआईएमआईएम के कर्नाटक महासचिव और बेलगावी उत्तर से पार्टी के उम्मीदवार लतीफखान अमीरखान पठान ने कहा, ''हम उन सीटों पर उम्मीदवारों को उतारने का प्लान बना रहे हैं, जहां मुसलमानों और दलितों के मत मिलाकर वोट शेयर 35 फीसदी से अधिक है. हमने ऐसी करीब 20 सीटों की पहचान की है। हम कम से कम 16 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.''
वैसे आम धारण है कि एआईएमआईएम को अल्पसंख्यक वोट मिलते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में वो सफल नहीं हुई. हालांकि साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जरूर पार्टी ने आरजेडी को नुकसान पहुंचाया था.
उत्तर कर्नाटक में क्यों एआईएमआईएम अहम है?
उत्तरी कर्नाटक के स्थानीय निकायों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की अच्छी खासी पकड़ है. पार्टी ने विजयपुरा नगर निगम में दो सीटें, बेलगावी नगर निगम में एक, बीदर में एक, बसवाना बागवाड़ी नगर निगम में एक सीट पर जीत दर्ज की थी. हुबली-धारवाड़ नगर निगम में पार्टी के तीन नगरसेवक हैं.
साल 2021 में सिविक वॉर्ड की 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इसमें से तीन पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस बीजेपी से चार सीट एमआईएमआईएम के कारण हार गई थी. बता दें कि हुबली धारवाड़ पूर्व कांग्रेस का गढ़ है. यहां से पार्टी के अभय्या प्रसाद पिछले दोनों चुनाव जीते हैं.