श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की राजनीति में आज अचानक उस वक्त खलबली मच गई जब बीजेपी ने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया. बीजेपी के महासचिव राम माधव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में जो परिस्थिति बनी है उस पर चर्चा करने के बाद प्रधानमंत्री और अमित शाह की सलाह के बाद हमने निर्णय किया कि इस गठबंधन सरकार में आगे चलना बीजेपी के लिए संभव नहीं होगा.


पीडीपी से नाता तोड़े जाने के फैसले से संबंधित चिट्ठी बीजेपी ने राज्यपाल एनएन वोहरा को भेज दी है. जानकारी के मुताबिक महबूबा मुफ्ती ने शाम चार बजे पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है जिसके बाद शाम पांच बजे वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. इस बीच खबर हा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे हैं.


यह एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है: ओवैसी
जम्मू कश्मीर में सरकार गिरने पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ''पीडीपी ने खुद अपने लिए यह राजनीतिक आपदा खड़ी की है. मुझे लगता है कि पीडीपी के लिए अभी कोई स्थान नहीं है, यह पीडीपी के लिए एक सबक है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए भी. बीजेपी और पीडीपी दोनों इस बात से सहमत होंगे कि यह उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव का गठबंधन था. देश की जनता जनता जानना चाहती है इस उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की बैठक का क्या हुआ? आशा है कि कश्मीर की जनता शांति से काम लेगी, यह एक दुर्भाग्य पूर्ण फैसला है. बीजेपी सरकार देने के वादे से भाग नहीं सकती. बीजेपी इसके लिए बराबर की जिम्मेदार है.''


कांग्रेस ने पीडीपी को समर्थन देने से मना किया
इस बीच कांग्रेस ने पीडीपी को समर्थन ना देने का एलान किया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम बनी आजाद ने कहा, ''जो कुछ भी हुआ वह अच्छा है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को राहत मिलेगी. बीजेपी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया और अब उन्होंने समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी-पीडीपी के तीन साल के शासन के दौरान सबसे अधिक सुरक्षाबलों और कश्मीरी नागरिकों की मौत हुई है.''


शिवसेना का बड़ा हमला
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था.


बीजेपी ने समर्थन क्यों वापस लिया?
बीजेपी ने समर्थन वापसी का एलान करते हुए जो कारण गिनाए उनमें आतंकवाद में बढ़ोतरी, महबूबा सरकार हालात संभालने में नाकाम, कश्मीर के हालात पर समर्थन के लिए समर्थन वापस, मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को मुख्य कारण बताया है.