नई दिल्ली: AIMIM अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किसानों और मजदूरों की खुदकुशी के आंकड़ों की एक खबर पर सरकार और मीडिया पर जमकर निशाना साधा है. ओवैसी का कहना है कि मीडिया के लिए एक एक्टर की मौत हजारों मजदूरों और गरीबों की मौत से ज्यादा मायने रखती है, ये रात 9 बजे वाले राष्ट्रवादी कभी गरीबों पर शो नहीं करते.


असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'रात 9 बजे वाले राष्ट्रवादी देश के गरीब लोगों की खुदकुशी को मजबूर होने पर शो नहीं करेंगे. इस मामले पर कोई जांच नहीं होगी. पीड़ितों के परिवारों से कोई इंटरव्यू नहीं लिया जाएगा. कोई ड्रामा नहीं होगा. पीएमओ से कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा.'


एक दूसरे ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, 'गरीबों और मजदूरी की खुदकुशी की जगह आज रात PUBG बैन पर चर्चा होगी. ताकि हमारा हमारे देश की दयनीय हालत से ध्यान भटकाया जा सके. मीडिया की नजर में एक एक्टर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हजारों किसानों और मजदूरों की मौत से ज्यादा कीमती है.'


भारत में 2019 में हर रोज औसतन 381 लोगों ने की आत्महत्या
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2019 में हर दिन औसतन 381 लोगों ने आत्महत्या की और इस तरह पूरे साल में कुल 1,39,123 लोगों ने खुद ही अपनी जान ले ली. वहीं 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पिछले साल जहां 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की, वहीं 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.


केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2019 में शहरों में आत्महत्या की दर (13.9 प्रतिशत) पूरे भारत में आत्महत्या की दर (10.4 प्रतिशत) से अधिक थी. आंकड़ों के अनुसार 2019 में आत्महत्या के मामलों में 53.6 प्रतिशत लोगों ने फांसी लगाकर जान दी, वहीं जहर खाकर 25.8 प्रतिशत लोगों ने अपना जीवन समाप्त किया. 5.2 प्रतिशत लोगों ने पानी में डूबकर आत्महत्या की तो 3.8 प्रतिशत लोगों ने आत्मदाह किया.


आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए. जहां 18,916 लोगों ने अपना जीवन समाप्त किया. वहीं, इसके बाद तमिलनाडु में 13,493, पश्चिम बंगाल में 12,665 , मध्य प्रदेश में 12,457 और कर्नाटक में 11,288 लोगों ने 2019 में आत्महत्या की.


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