Asaduddin Owaisi on Women’s Marriage Age: केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में है. सरकार अगले हफ्ते संसद के दोनों सदनों में इससे जुड़ा बिल पेश कर सकती है. बिल पेश होने से पहले इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है. AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि 18 साल में लड़की जब वोट दे सकती है तो अपना पार्टनर क्यों नहीं चुन सकती. ओवैसी का कहना है कि आप सरकार हैं, मोहल्ले के चाचा या अंकल नहीं हैं कि आप फैसला करेंगे कि कौन कब शादी करेगा या क्या खाना खाएगा.
ओवैसी ने कहा, 'यह मोदी सरकार के पितृसत्तात्मकता का एक बहुत अच्छा उदाहरण है. 18 साल की उम्र में, एक भारतीय नागरिक अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकता है, व्यवसाय शुरू कर सकता है, प्रधानमंत्री चुन सकता है और सांसदों और विधायकों का चुनाव कर सकता है. मेरा विचार है कि लड़कों की शादी की आयु 21 से घटाकर 18 साल कर दी जानी चाहिए.'
उन्होंने कहा कि सेक्सुअल और लिव-इन का तो सरकार कानूनी अधिकार दे रही है तो 18 की उम्र में शादी का क्यों नहीं? अमेरिका में ऐसे कई राज्य हैं जहां 14 साल में शादी की इजाजत है. ब्रिटेन और कनाडा में 16 साल की उम्र में शादी का अधिकार है. AIMIM प्रमुख ने आगे कहा कि हमारे समाज में चाइल्ड मैरिज एक क्राइम है, लेकिन इसको आप क्रिमिनल लॉ से खत्म करेंगे? संसद में जब बहस होगी तो हम इस पर बोलेंगे. यह कानून सिर्फ हेडलाइंस मैनेजमेंट है, इससे महिलाओं को कोई फायदा नहीं होने वाला.
ओवैसी ने अपना ये विरोध संसद में बिल पेश होने के पहले ही जता दिया है. अगले हफ्ते केंद्र सरकार जब बिल को संसद के दोनों सदनों में पेश करेगी, तो निश्चित तौर पर इसको लेकर भी हंगामे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
सपा सांसदों का विवादित बयान
इससे पहले समाजवादी पार्टी के दो सांसद शफीक उर रहमान बर्क और एसटी हसन का इसपर विवादित बयान भी सामने आया. इन दोनों नेताओं ने 21 साल की उम्र में शादी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए यहां तक कह दिया कि अगर 18 साल से शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल की जाती है, तो उससे लड़कियां आवारगी करने लगेंगी.
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