Asaduddin Owaisi Letter To Dharmendra Pradhan: मिड-डे मील को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से एक शिकायत की है. उनका कहना है कि मिड-डे मील बनाने वालों को कम मेहनताना मिलता है. इस बाबत उन्होंने केद्रीय मंत्री को एक चिट्ठी भी लिखी.


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एआईएमआईएम चीफ ने लिखा, “कल्पना कीजिए कि आप भारत के सबसे गरीब बच्चों को खाना खिलाने के लिए खाना पकाते हैं. कल्पना कीजिए कि आपको हर महीने 810 रुपये का भुगतान किया जाता है और 2009 से आपकी मजदूरी में कोई वृद्धि नहीं हुई है. पीएम-पोषण/मिड-डे मील योजना के तहत भारत के रसोइयों और सहायकों के साथ भी यही स्थिति है.”


धर्मेंद्र प्रधान को लिखी चिट्ठी तो पीएमओ को किया टैग


उन्होंने पीएमओ को टैग करते हुए आगे कहा, “योजना पर पीएमओ का नाम होने का क्या फायदा है अगर इसकी सफलता के लिए जिम्मेदार लोगों को सरकार की ओर से उचित मुआवजा भी नहीं दिया जाता है. धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर मांग की है कि 25 लाख रसोइयों और सहायकों को सेवा की अन्य बुनियादी शर्तों के साथ उचित पारिश्रमिक दिया जाए.” असदुद्दीन ओवैसी ने इन हेल्परों का मेहनताना 3500 रुपये प्रति माह करने की मांग की है.






केंद्र सरकार का बजट?


दि हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 25 में सरकार को स्कूली शिक्षा पर 73,008 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद जताई गई थी. वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमानों की तुलना में आवंटन में मामूली रूप से 534 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. निरपेक्ष संख्या के संदर्भ में इसमें वृद्धि हुई है, लेकिन अगर आवंटन को कुल बजट के हिस्से के रूप में व्यक्त किया जाए तो स्कूली शिक्षा का हिस्सा वित्त वर्ष 2025 में 1.53% आता है, जो कि सबसे कम है.


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