Asansol Stampede: शुभेंदु अधिकारी के कार्यक्रम में भगदड़ पर BJP नेता दिलीप घोष बोले, 'सारा दोष पुलिस पर मढ़ देना आसान, लेकिन...'
Asansol Stampede: बंगाल के आसनसोल में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के कंबल वितरण कार्यक्रम में भगदड़ मच गई थी. कार्यक्रम स्थल में भगदड़ के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है.
West Bengal: पश्चिम बंगाल के आसनसोल में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के कंबल वितरण कार्यक्रम में भगदड़ की घटना पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने बृहस्पतिवार (15 दिसंबर) को कहा कि हमारे राज्य के गरीब लोगों को भत्ता के रूप में पैसे देने या कंबल देने के लिए एक जगह इकट्ठा करना बहुत आसान है. इस घटना के लिए सारा दोष पुलिस पर मढ़ देना एक बात है, लेकिन कार्यक्रम आयोजक को अपनी भूमिका तय करनी होगी, भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकते हैं.
बता दें कि शुभेंदु अधिकारी के बुधवार के कार्यक्रम में भगदड़ मचने से तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कुछ लोग घायल भी हो गए थे. यह घटना तब हुई जब लोग शुभेंदु अधिकारी के कार्यक्रम स्थल से जाने के बाद कंबल लेने के लिए मंच की ओर दौड़े और इसी कारण वहां भगदड़ मच गई. कार्यक्रम एक धार्मिक संगठन ने आयोजित किया था, जिसमें कई भाजपा नेता इसका हिस्सा थे.
टीएमसी ने कहा- शुभेंदु घटना के लिए जिम्मेदार
इस बीच तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने बृहस्पतिवार को कहा कि शुभेंदु अधिकारी भगदड़ की घटना के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. घोष ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी के जाने के बाद, लोग मंच की ओर दौड़ पड़े क्योंकि स्थल में कंबल लेने वालों की संख्या की तुलना में कंबलों की संख्या बहुत कम थी. उन्होंने कहा कि शुभेंदु को बताना चाहिए कि वह ऐसी जगह पर क्यों गए, जहां बैठने की पर्याप्त क्षमता नहीं थी. हाई कोर्ट के यह कहे जाने के बाद कि न्यायिक सहमति के बिना उनके खिलाफ कुछ भी नहीं किया जा सकता है, घोष हताश हो गए हैं.
हाई कोर्ट का स्टे ऑर्डर
हाल में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने अधिकारी की दलीलों पर गौर किया था और राज्य पुलिस की उनके खिलाफ दर्ज की गई लगभग 17 एफआईआर पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया था कि वह कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना अधिकारी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज न करें. हाई कोर्ट के इस आदेश में संशोधन के लिए राज्य सरकार ने अदालत का रुख किया था.
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