दो अन्य आरोपियों को मिली 20-20 साल की सजा
कोर्ट इस मामले में दो अन्य आरोपियों शिल्पी और शरद को भी दोषी करार दिया और उन्हें बीस-बीस साल की सजा सुनाई है. वहीं, कोर्ट ने अन्य दो प्रकाश और शिव को रिहा कर दिया. बता दें कि राजस्थान हाई कोर्ट ने निचली अदालत को जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में ही फैसला सुनाने का आदेश दिया था.
2013 को पुलिस ने दायर किया था आरोपपत्र
साबरमती नदी के किनारे एक झोंपड़ी से शुरुआत करने से लेकर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने चार दशक में 10 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था. आसाराम और शिव, शिल्पी, शरद और प्रकाश के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत छह नवंबर 2013 को पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया था.
पीड़िता के पिता ने कहा- हमें खुशी है कि न्याय मिला
फैसले के बाद पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और हमें खुशी है कि न्याय मिला.’’ उन्होंने कहा कि परिवार लगातार दहशत में जी रहा था और इसका उनके व्यापार पर भी काफी असर पड़ा.
कानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर केन्द्र ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सरकारों से सुरक्षा कड़ी करने और अतिरिक्त बल तैनात करने को कहा था. तीनों राज्यों में आसाराम के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. हालांकि अभी तक कहीं से भी हिंसा की कोई खबर सामने नहीं आई है.
आसाराम को क्यों सजा मिली है?
आसाराम पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक नाबालिग ने रेप करने का आरोप लगाया था. यह लड़की मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी. पीड़िता का आरोप है कि आसाराम ने जोधपुर के निकट मनई आश्रम में उसे बुलाया था और 15 अगस्त 2013 को उसके साथ रेप किया था.
2013 से न्यायिक हिरासत में हैं आसाराम
बता दें कि आसाराम मामले में अंतिम दलीलें सात अप्रैल को पूरी हुई थीं और 25 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रखा गया था. आसाराम को इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था.
बता दें कि आसाराम ने 12 बार जमानत याचिका दायर की, जिसे छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान हाई कोर्ट और तीन बार सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था.