Congress President Election Race: कांग्रेस अध्यक्ष पद और राजस्थान कांग्रेस में बरपे हंगामें के बीच पार्टी ने सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) खेमे के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन सूबे के सीएम गहलोत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अब तक केवल शशि थरूर और पवन बंसल के नाम हैं. इस चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर है.
इस बीच ये कहा जा रहा है कि हाईकमान राजस्थान के सियासी बवाल और अध्यक्ष पद के चुनाव से पैदा हुए संकट से निपटने के लिए दो तरफा रणनीति पर काम कर रही हैं. एक तरफ पार्टी कुछ नेताओं से सीएम गहलोत से बात करने को कह रही हैं तो दूसरी तरफ सभी तरह के विकल्पों को ध्यान में रख रही है. इसमें इस अहम पद के लिए एक वैकल्पिक उम्मीदवार का देखा जाना भी शामिल है. पार्टी नेतृत्व का इस तरह का फैसला इशारा कर रहा है कि गहलोत पार्टी के अध्यक्ष पद की चुनावी दौड़ से अभी बाहर नहीं किए गए हैं.
आलाकमान की दो तरफा रणनीति
माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान अन्य नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह दो मोर्चों पर काम कर रहा है. सोमवार को कमलनाथ (Kamal Nath) से मुलाकात करने वाली सोनिया गांधी ने मंगलवार को आनंद शर्मा और अंबिका सोनी के साथ अलग-अलग बैठकें कीं.
केरल (Kerala) में अर्ध-सेवानिवृत्ति की हालात वाले एके एंटनी (A K Antony) को भी दिल्ली तलब किया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक और सुशील कुमार शिंदे जैसे कई नेताओं के नाम संभावित उम्मीदवारों के तौर पर चर्चा में हैं. ऐसे संकेत हैं कि आखिरी वक्त में इन पर आम सहमति बन सकती है.
अब तक दो नाम हैं
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए एआईसीसी (AICC) के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल (Pawan Kumar Bansal) ने सोमवार (26 सितंबर) को दो नामांकन फॉर्म लिए हैं. कोषाध्यक्ष बंसल का कहना कि उन्होंने किसी और के प्रस्तावक के तौर पर नामांकन फॉर्म लिया था. उम्मीदवार कौन होगा के जवाब में उन्होंने कहा, "यह जल्द ही साफ हो जाएगा." पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अन्य संभावित उम्मीदवार शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने देश भर से करीब 30 पीसीसी (PCC) प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर लेने में कामयाबी हासिल की है. सूत्रों के मुताबिक कम से कम तीन लोकसभा सांसदों ने भी उनके नाम के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. वह नामांकन की आखिरी दिन 30 सितंबर को सुबह 11 बजे अपना नामांकन दाखिल करेंगे.
इस बीच, कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (Congress Central Election Authority) के चीफ मधुसूदन मिस्त्री (Madhusudan Mistry) ने एआईसीसी डेटा एनालिटिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रवीण चक्रवर्ती और एआईसीसी सचिव बीपी सिंह के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात की. इन लोगों ने सोनिया गांधी को पीसीसी प्रतिनिधियों की आखिरी लिस्ट के साथ उनका क्यूआर-कोड वाला पहचान पत्र सौंपा. ये पीसीसी प्रतिनिधि ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल बनाते हैं. सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश से पीसीसी की प्रतिनिधि हैं.
दोस्ताना हल की कोशिश
पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी के हाईकमान का फैसला अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद की चुनावी रेस में बने रहने की तरफ इसारा कर रहा है तो इस मामले पर पार्टी एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश भी कर रही हैं. इस मामले में पार्टी के सीनियर नेताओं अंबिका सोनी (Ambika Soni) और आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने सीएम गहलोत से बात की है. इसके साथ ही हाईकमान ने उनके प्रतिद्वंदी सचिन पायलट (Sachin Pilot) को भी दिल्ली बुलाया है. हालांकि एक बात पार्टी की तरफ से साफ कर दी गई हैं कि राजस्थान के सीएम (Rajasthan Chief Minister) को हाईकमान की मर्जी को तवज्जो देनी होगी. वह दोनों तरह से फायदा पाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.
सोनिया गांधी का चढ़ा पारा
कहा जा रहा है कि राजस्थान के रविवार के घटनाक्रम के बाद कांगेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का पारा चढ़ गया. दरअसल 25 सितंबर रविवार को गहलोत खेमे के लगभग 90 विधायक सीएलपी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. इन विधायकों ने पार्टी आलाकमान के सूबे के मुख्यमंत्री को बगैर सलाह के बदलने के एकतरफा फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद इन विधायकों ने अपना इस्तीफा राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (Rajasthan Assembly Speaker C P Joshi) को सौंप दिया था. राजस्थान में हुए इस हंगामे ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के बीच में पार्टी के लिए नकारात्मक प्रचार को बढ़ावा दिया. जबकि बीते सप्ताह ही राहुल गांधी ने इशारा कर दिया था कि अगर गहलोत 17 अक्टूबर के चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें पार्टी के एक व्यक्ति, एक पद के कायदे को मानना होगा.
नोटिस कहता है बहुत कुछ
पार्टी की तरफ से शांति धारीवाल को भेजा गया नोटिस आलाकमान की नाखुशी को साफ जाहिर करता है. नोटिस में उन पर विधायकों पर आधिकारिक बैठक में शामिल न होने का दबाव बनाने और अपने घर पर विधायकों की समानांतर बैठक कर गंभीर अनुशासनहीनता करने का आरोप लगाया गया है. इसमें आगे कहा गया है कि संसदीय कार्य मंत्री ( Parliamentary Affairs Minister) के तौर पर उनकी इस अनौपचारिक बैठक की मेजबानी करने से कांग्रेस विधायक भ्रमित हो गए.
राज्य मुख्य सचेतक (State Chief Whip) महेश जोशी को भेजे गए नोटिस में कहा गया है,"आपने मुख्य सचेतक के तौर पर दो मामलों में गंभीर अनुशासनहीनता की है. पहली आधिकारिक सीएलपी बैठक में हर कांग्रेस विधायक के शामिल होने के नोटिस के बाद भी इस बैठक का बहिष्कार किया और दूसरी उसी वक्त हुई विधायकों की समानांतर बैठक में शामिल हुए और आपने तब ये किया जब आधिकारिक तौर पर नियुक्त पर्यवेक्षक अधिकारी इस आधिकारिक बैठक के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे.” उधर आरटीडीसी अध्यक्ष (RTDC Chief) धर्मेंद्र राठौर पर धारीवाल के घर पर हुई एमएलए की बैठक के लिए साजो-सामान का इंतजाम करने का आरोप लगाया गया है.
गहलोत खेमे का डैमेज कंट्रोल
राजस्थान में सीएम गहलोत की जगह सचिन पायलट को सीएम पद देने को लेकर बवाल मचा हुआ है. सूबे के सीएम के करीबियों ने पायलट की दावेदारी का जमकर विरोध किया. नतीजन पार्टी को इस मामले को देखने के लिए एआईसीसी (AICC) प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे को वहां भेजना पड़ा. इन दोनों लोगों ने 27 सितंबर को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को रिपोर्ट दी. इसमें कहा गया की जिन लोगों ने सीएलपी (CLP) की आधिकारिक बैठक का बहिष्कार किया, वे गहलोत के करीबी सहयोगी थे. सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट ने न तो मुख्यमंत्री को आरोपित किया है और न ही उन्हें क्लीन चिट दी है. इसी पर अनुशासन समिति ने सीएम गहलोत के तीन करीबियों को गंभीर अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है और 10 दिनों में इसका जवाब मांगा है.
इन करीबियों में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal), मुख्य सचेतक महेश जोशी (Mahesh Joshi) और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर (Dharmendra Rathore) शामिल हैं. हालांकि इस सबके बीच सीएम गहलोत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. गौरतलब है कि राजस्थान में अपने विधायकों के बगावती तेवरों की वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इस बीच, जयपुर में, गहलोत खेमे इस मामले के डैमेज कंट्रोल में लग गया है. राज्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) यह कह रहे हैं कि "कोई विधायक" सोनिया गांधी या राहुल गांधी के खिलाफ नहीं है. उन्होंने ये भी कहा, "सोनिया गांधी को विधायकों "मां" मानते हैं."
राज्य मंत्री खाचरियावास ने आगे कहा, "अगर कुछ विधायकों ने सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी को अपने मन की बात और अधिकार की बात रखी और गुस्से में अपना इस्तीफा सौंप दिया, तो यह एक पारिवारिक मुद्दा है. एक भी विधायक सोनिया जी या राहुल जी के खिलाफ नहीं है.आज, अगर वे आदेश देते हैं, तो हर विधायक ईडी, आयकर, सीबीआई से लड़ने के लिए तैयार है" उन्होंने कहा, "उन्होंने (सोनिया गांधी) इतना बड़ा बलिदान दिया कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता उन्हें अपनी मां मानता है और उन्हें वही सम्मान देता है."
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