2 घंटे में बेस खाली करना है... अफगानिस्तान में आईटी एक्सपर्ट के तौर पर काम करने वाले यूपी के अशोक सिंह ने सुनाई दास्तां
अफगानिस्तान के हालात को लेकर अशोक सिंह कहते हैं कि अफगानी लोग भारतीयों की बहुत इज्जत करते हैं. हालांकि डर की वजह से हर कोई तालिबान के समर्थन करता भी दिखाई देगा.
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में भारतीय काबुल फंसे हुए हैं. दो दिन पहले एक हाई रिस्क मिशन को अंजाम देते हुए वायुसेना के विमान से 150 भारतीयों को देश वापस लाया गया है. इनमें अमेरिका सेना के लिए काम करने वाले अशोक सिंह भी हैं जो यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं. अशोक काबुल में अमेरिकी सेना के कैम्प में दो साल से बतौर आईटी हेड काम कर रहे थे. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में अशोक सिंह बताते हैं कि उन्होंने 2012 से 2015 तक अस्थाई तौर पर अलग-अलग बेस कैंपस में काम किया. इसके बाद 2 साल के ब्रेक के बाद उन्होंने 2017 से अबतक अमेरिकी सेना के बहराम बेस कैंप में आईटी मैनेजर का काम किया.
अशोक बताते हैं कि 7 अगस्त को एक मेल के जरिए उन्हें सूचित किया गया कि बेस खाली करने के लिए तैयार रहना होगा. इसके बाद 14 अगस्त को शाम 4 बजे अचानक सूचना आयी कि 2 घंटे में बेस खाली करना है. बेस खाली करना मतलब इमारत को छोड़कर बाकी सभी चीजों को तत्काल नष्ट करके हेलीकॉप्टर से निकल जाना है. अशोक आईटी मैनेजर थे इसलिए उनका काम 200 से ज्यादा लैपटॉप को नष्ट करना था. उन्होंने देखा कि हथियारों से लेकर बख़्तरबंद गाड़ियों को ब्लास्ट करके नष्ट किया गया. उन्होंने खुद 200 से ज्यादा लैपटॉप तोड़कर खत्म किए.
"ये अंदेशा था कि जल्द ही तालिबान काबुल पहुंच सकता है"
आईटी एक्सपर्ट अशोक सिंह के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट पर सिविल एयरपोर्ट और अमेरिकी एयरबेस अलग अलग है. जब अमेरिकी हेलिकॉप्टर एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले थे तब तालिबान ने उनपर आरपीसी (विमान तबाह करने वाले मिसाइल) छोड़ने शुरू किया. अमेरिकी सेना ने जवाबी फायरिंग करके कई तालिबानियों को मार गिराया. इसके बाद 14 अगस्त की रात को एयरपोर्ट पर ही सभी लोगों में रात गुजारी. अगले दिन सूचना आयी कि दोपहर 2 बजे के करीब विशेष विमान से उन्हें दोहा ले जाया जाएगा. सभी लोग रनवे पर अपनी बारी का इंतजार करते रहे. धीरे-धीरे सभी को वहां से निकाल लिया गया.
अफगानिस्तान के हालात को लेकर अशोक सिंह कहते हैं कि अफगानी लोग भारतीयों की बहुत इज्जत करते हैं. हालांकि डर की वजह से हर कोई तालिबान के समर्थन करता भी दिखाई देगा. उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के लोगों को ये अंदेशा था कि जल्द ही तालिबान काबुल पहुंच सकता है. ऐसे में सिर ढंककर जीन्स और टीशर्ट पहनने वाली लड़कियों ने करीब 2 महीने पहले से ही बुर्का पहनना शुरू कर दिया था. तालिबान के पिछले शासन को देख चुके लोग अंदर से बहुत ज्यादा डरे हुए हैं. हालांकि उनके पास अब कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में डरे सहमे लोग तालिबान के ही समर्थन की बात कह रहे हैं.
यूपी के प्रतापगढ़ के अशोक 18 अगस्त को सकुशल अपने घर लौट आए हैं. फिलहाल अशोक जैसे कुछ लोग भी भारत लौट आए हैं तो बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी वापसी को लेकर प्रयासरत हैं. सरकार से गुहार लगा रहे हैं. उम्मीद है जल्द सभी भारतीय अफगानिस्तान से वापस अपने घर पहुंच जाएंगे.
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