हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: चुनाव से ठीक पहले राज्य कांग्रेस की कमान गंवाने के बाद अशोक तंवर ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए हैं. अशोक तंवर ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब एक नेता ने घोषणा कर दी है तो मेनिफेस्टो कमेटी का क्या मतलब है. कुमारी शैलजा और हुड्डा को राज्य कांग्रेस की कमान मिलने के बाद से अशोक तंवर ने पार्टी मीटिंग से दूरी बना रखी है.
पूरी तरह से बगावत के मूड में नज़र आ रहे अशोक तंवर मेनिफेस्टो कमेटी की मीटिंग में नहीं पहुंचे. उन्होंने कहा, ''जब एक नेता सारे वादे खुद ही कर चुका है तो मुझे नहीं लगता कि किसी मीटिंग में जाना जरूरी है.'' बता दें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक में बुलाई गई रैली के दौरान चार उपमुख्यमंत्री बनाए जाने समेत कई बड़े वादे किए थे.
इसके अलावा अशोक तंवर ने चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी अध्यक्ष कुमारी शैलजा से भी दूरी बना रखी है. अशोक तंवर अब तक दोनों नेताओं के साथ मंच शेयर करते हुए नहीं दिखे हैं. इससे पहले अशोक तंवर ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिग्गज नेताओं पर साथ नहीं देने का भी आरोप लगाया था.
हरियाणा कांग्रेस में अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच का झगड़ा काफी पुराना है. अशोक तंवर को 2014 लोकसभा चुनाव से पहले राज्य कांग्रेस की कमान मिली थी. अशोक तंवर की अगुवाई में कांग्रेस ने दो लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव लड़ा, पर पार्टी को हर बार करारी हार का सामना करना पड़ा. हरियाणा में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को होने है, जबकि नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे.
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