नई दिल्लीः अशोका यूनिवर्सिटी से हाल ही के समय में दो बड़ी हस्तियों ने इस्तीफा दिया. पहले  प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दिया और फिर दो दिन बाद ही मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने यूनिवर्सिटी में एकेडमिक फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन नहीं होने की बात कहते हुए इस्तीफा दे दिया.


अशोका यूनिवर्सिटी ने अब इसको लेकर एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया है. यूनिवर्सिटी ने प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यम की काम की तारीफ की है और इस्तीफे पर गहरा खेद जताया है. साथ ही माना है है कि संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ खामियां हैं जिन्हें यूनिवर्सिटी जल्द ही दूर करने का प्रयास करेगी.


खामियां को किया जाएगा दूर
स्टेटमेंट में कहा है कि ''हम स्वीकार करते हैं कि संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ खामियां हैं, जिन्हें हम सभी हितधारकों के परामर्श से सुधारने के लिए काम करेंगे. यह एकेडमिक ओटोनॉमी और फ्रीडम के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा, जो कि हमेशा से अशोक यूनिवर्सिटी के आदर्शों के मूल में रहा है.''

इस्तीफे से पैदा हुए शून्य को भरना मुश्किल
बयान के अनुसार ''यूनिवर्सिटी को प्रताप ने पहले वाइस चांसलर और फिर प्रोफेसर के रूप में नेतृत्व, मार्गदर्शन और गाइड किया. उन्होंने यूनिवर्सिटी को लर्निंग, टीचिंग और और रिसर्च के बड़े केंद्र बनाने के लिए वर्षों तक फैकल्टी और संस्थापकों के साथ मिलकर काम किया है. वहीं अरविंद यूनिवर्सिटी में नए विचार और नए ऊर्जा लाए. वह भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रमुख विचारकों में से एक हैं. अरविंद के जाने से एक शून्य पैदा हुआ है जिसे भरना मुश्किल होगा.'' यह जॉइंट स्टेटमेंट प्रताप भानु मेहता, अरविंद सुब्रमण्यम, यूनिवर्सिटी के चांसलर, वाइस चांसलर और बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के चेयरमैन की तरफ से जारी किया गया है.


शैक्षिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए उदार दृष्टिकोण
स्टेमेंट में आगे कहा है कि ''प्रताप और अरविंद इस बात पर जोर देना चाहते हैं अशोका यूनिवर्सिटी भारतीय उच्च शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में से एक है और वे अशोका यूनिवर्सिटी के उत्कृष्ट छात्रों और फैकल्टी को छोड़ने पर दुखी हैं. वे दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि यूनिवर्सिटी को शैक्षिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता के लिए एक उदार दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता अपनानी चाहिए.''


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