जयपुर: राजस्थान की राजनीति में उथलपुथल मची हुई है. सचिन पायलट ग्रुप की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर जमकर हमला बोला. अशोक गहलोत ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा कि देश की बिजनेस लॉबी के लोग राजस्थान की सरकार गिराना चाहता हैं. उन्होंने सचिन पायलट से पूछा कि कोर्ट में लड़ाई के लिए हरीश साल्वे और मकुल रोहतगी की फीस कौन दे रहा है?
अशोक गहलोत ने कहा, ''बीजेपी के साथ मिलकर पिछले छह महीने से वह साजिश कर रहे हैं. जब मैंने कहा कि सरकार गिराने की साजिश हो रही है तो किसी ने भरोसा नहीं किया. किसी को नहीं पता था कि इतना मासूम चाहरे वाला इंसान ऐसा काम करेगा.'' सचिन पायलट के हवाले से उन्होंने कहा कि जब लोग उनके पास जाते थे तो वो लोगों से कहते थे कि कल तो तुम अशोक गहलोत के घर के बाहर. उन्होंने कहा कि सचिन पायलट लोगों से कहते थे कि मैं बैंगन बेचने नहीं आया, सीएम बनने आया हूं.
सचिन पायलट ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है, उन्हें काफी कम उम्र में बहुत कुछ मिल गया था. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को निकम्मा तक कह दिया. अशोक गहलोत ने कहा, ''हमने कभी सचिन पायलट पर सवाल नहीं किया, सात साल के अंदर एक राजस्थान ही ऐसा राज्य है जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की मांग नहीं की गई. हम जानते थे कि वो निकम्मे थे, नाकारा थे.''
सरकार गिराने की साजिश के लिए अशोक गहलोत ने कॉर्पोरेट फंडिंग का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा, ''बड़े-बड़े कॉरपोरेट उनकी फंडिंग कर रहे हैं. बीजेपी की ओर से फंडिंग की जा रही है, लेकिन हमने सारी साजिश फेल कर दी.'' उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी जैसे कॉर्पोरेट वकीलों की फीस कौन दे रहा है?
सिंघवी बोले- स्पीकर के फैसले में कोर्ट ना दे दखल
स्पीकर के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश हो रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट को अभी स्पीकर के फैसले में दखल नहीं देना चाहिए. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, '' नोटिस में विधायकों से पूछे गए सवालों को लेकर अभी भी फैसला बाकी है. सभी 19 विधायकों के अपनी निजी वजहें हो सकती हैं. इसलिए स्पीकर उन पर फैसला दे सकते हैं. कोर्ट को स्पीकर के फैसले में दखल नहीं देना चाहिए.''
शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हाइकोर्ट ने 21 जुलाई शाम 5:30 बजे तक रोक लगा दी थी. इसका मतलब था कि तब तक विधानसभा के स्पीकर विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे.
अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं. इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे.