उड़ीसा में ASI को खुदाई में मिला बौद्ध धर्म का प्राचीन खजाना, क्या हैं इसके मायने?
Ratnagiri Buddhist Heritage: उड़ीसा के रत्नागिरी में ASI की खुदाई में प्राचीन बौद्ध धरोहरें मिली हैं। इसमें स्तूप, मूर्तियां और पत्थर पर लिखा लेख शामिल हैं, जो भारत के बौद्ध इतिहास को दर्शाते हैं.

Ratnagiri Buddhist Heritage: भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम को उड़ीसा के रत्नागिरी गांव में खुदाई के दौरान महत्वपूर्ण बौद्ध अवशेष मिले हैं. ये खोजें भारत के प्राचीन बौद्ध इतिहास को समझने में अहम योगदान दे सकती हैं.
खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध के तीन विशालकाय सिर मिले हैं, जो पत्थर से तराशे गए हैं. इनकी बनावट बहुत ही उत्कृष्ट है और यह इस बात का प्रमाण है कि उस समय मूर्तिकला कितनी विकसित थी.
स्तूप और चैत्यगृह
कई छोटे और बड़े स्तूप भी खोजे गए हैं, जिन्हें ईंटों और पत्थरों से बनाया गया है. इनमें से कुछ स्तूपों में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी उकेरी गई हैं, जो बौद्ध धर्म में समय के साथ हुए परिवर्तनों को दर्शाती हैं.
संस्कृत शिलालेख और अन्य पुरातात्त्विक अवशेष
खुदाई में संस्कृत भाषा में लिखे कई पत्थर पर लिखा लेख भी मिले हैं, जिससे तत्कालीन संस्कृति, भाषा और सामाजिक जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती है. खुदाई के दौरान मिले प्राचीन मिट्टी के बर्तनों से उस काल की जीवनशैली और खान-पान के बारे में जानकारी मिल सकती है.
रत्नागिरी: भारत के बौद्ध इतिहास का प्रमुख केंद्र
रत्नागिरी प्राचीन काल में एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल रहा होगा. खुदाई में मिले चैत्य (प्रार्थना स्थल) यह दर्शाते हैं कि यह स्थान किसी समय एक समृद्ध बौद्ध केंद्र था. माना जा रहा है कि यहां से बौद्ध धर्म दक्षिण भारत होते हुए अन्य दक्षिण एशियाई देशों तक पहुंचा था.
ASI के पुरातत्त्वविदों का प्रयास
ASI के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रजनप्रति प्रधान और उनकी टीम दिसंबर 2024 से इस क्षेत्र में खुदाई कर रही है. यह खोज भारत के बौद्ध इतिहास को और अधिक स्पष्ट कर सकती है. खुदाई अभी जारी है और आगे और भी महत्वपूर्ण अवशेष मिलने की संभावना है.
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