नई दिल्ली: एशियन गेम्स में रेसलिंग में देश को कांस्य पदक दिलाने वाली रेसलर दिव्या काकरान ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को खरी खरी सुनाई. दिव्या ने कहा, ''कॉमनवेल्थ में जब गोल्ड जीता तब भी आपने बुलाया. मैंने कहा एशियन गेम्स की तैयारी के लिए कुछ चाहिए. मैंने लिखकर दिया लेकिन मेरा फोन भी नहीं उठाया गया.''


दिव्या ने कहा, ''मुझे जब कॉमनवेल्थ में गोल्ड मिला तब मेरे लिए कुछ नहीं किया गया. सीएम से कहा गरीब बच्चों के बारे में कुछ सोचिए. जिस वक़्त ज़्यादा ज़रूरत रहती है उस वक़्त हमारी सहायता कोई नहीं करता है.''


काकरान ने कहा, ''कहा हरियाणा में देखिये खिलाड़ियों को कितनी सपोर्ट है. वहां 3 करोड़ मिलते हैं और यहां 20 लाख. हरियाणा में कहते हैं घी दूध है. घी दूध दिल्ली में भी है लेकिन यहां सपोर्ट नहीं है.''


दिव्या को सुनने के बाद सीएम ने कहा कि अब तक जो नीतियां थी उसमें कई सारी खामियां थी. उसको सुधारने के काफी प्रयत्न किये. हमारे कामों में अड़चन डाली जा रही है. पहले हमारी नीतियां ऊपर जाकर रोक दी जाती थी लेकिन आज जो हम कर पा रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन आया है.


एबीपी न्यूज़ से भी जताई थी नाराजगी
इससे पहले दिव्या काकरान ने एबीपी न्यूज़ से सुवुधाओं के अभाव पर नाराजगी जताई थी. दिव्या काकरान दिल्ली के गोकुलपुर में रहती हैं. उन्होंने बेहद मुश्किल हालात में रहकर एशियन गेम्स की तैयारी की है. दिव्या का परिवार पिछले 10 साल से पूर्वी दिल्ली के गोकुलपर की तंग गलियों में बने दो कमरों के घर में रहता है.


दिव्या का कहना है कि पूरा सफर बेहद मुश्किल भरा रहा. मैं सोच भी नहीं सकती थी यहां तक पंहुच सकती थी. लड़की होने की वजह से सब मना करते थे कि कुश्ती मत करवाओ लेकिन मेरे पापा ने कुश्ती जारी रखवाई. यहां तक आने में भाई, माता-पिता सबका योगदान है. दिव्या बताती हैं कि मेडल जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अभिनेता अनिल कपूर का बधाई संदेश आया. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री का कोई बधाई संदेश नहीं आया.


उन्होंने बताया कि इनाम के बारे में पता चला कि यूपी सरकार कांस्य के लिए 20 लाख रुपए दे रही है. हरियाणा में कांस्य को 75 लाख है. हरियाणा में सरकार सपोर्ट करती है. दिव्या साल 2011 से नवम्बर 2017 तक दिल्ली राज्य की तरफ से खेली. सुविधाओ के अभाव के चलते उन्होंने यूपी से खेलने का फैसला किया.