IISIR की परीक्षा में छात्रों से पूछा, डार्विन के सिद्धांत को लेकर सत्यपाल सिंह की दलील में गलत क्या है?
सत्यपाल सिंह ने कहा था कि डार्विन का जैवविकासवाद का सिद्धांत गलत है. स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव करने की जरूरत है.
पुणे: भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) ने अपनी एक परीक्षा में छात्रों से यह सवाल पूछा कि डार्विन के सिद्धांत की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह की तरफ से दी गई दलील में क्या गलत है? सवाल को लेकर संस्थान के डीन संजीव गलांडे ने कहा कि इसका ‘‘मकसद छात्रों के तार्किक चिंतन की परख’’ करना है.
गलांडे ने कहा, ‘‘आईआईएसईआर पेशेवर तरीके से शिक्षण पर जोर देता है और प्रश्नपत्र सारांश आधारित नहीं होते. छात्रों से चिंतन करने और तार्किक विश्लेषण करने की उम्मीद की जाती है और परीक्षा में पूछा गया सवाल सीधा था, जिसका मकसद छात्रों के तार्किक चिंतन की परख करना था.’’
परीक्षा में क्या सवाल किया गया है?
संस्थान ने 22 फरवरी को स्नातक छात्रों की एक परीक्षा में सवाल किया था, ‘‘हाल में भारत के मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने दावा किया कि डार्विन का जैवविकासवाद का सिद्धांत गलत है क्योंकि हमारे पूर्वजों सहित किसी ने भी लिखित या मौखिक रूप से यह नहीं कहा है कि उन्होंने लंगूर को इंसान में बदलते देखा. इस दलील में क्या गलत है?’’
सत्यपाल सिंह ने क्या कहा था?
बता दें कि कुछ दिन पहले पूर्व आईपीसी अधिकारी और केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा था, ‘‘(इंसानों के विकास से जुड़ा) डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इसमें बदलाव करने की जरूरत है.’’ सत्यपाल सिंह के इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना भी हुई थी.
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