नई दिल्ली: बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने गुवाहाटी के अमिनगांव से चुनावी बिगुल फूंक दिया है. अमित शाह भले ही एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने लिए गुवाहाटी आये थे लेकिन उनके आक्रामक तेवर ने बता दिया कि असम का चुनाव उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है. उन्होंने न सिर्फ अलगाववादी संगठनों को दो टूक जवाब दिया बल्कि कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया. असम की दुर्दशा के लिए कांग्रेस और अलगाववादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया.
अमित शाह के असम पहुंचते ही कांग्रेसी खेमे में भगदड़ शुरू हो गई है. कांग्रेस के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया जबकि दो अन्य विधायक भी देर सबेर इस्तीफा दे सकते हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के तीन विधायक शनिवार देर रात गृहमंत्री से मिलकर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे.
गृहमंत्री अमित शाह असम सरकार के असम दर्शन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार देर रात गुवाहाटी पहुंचे थे. शनिवार को गुवाहाटी शहर से पांच किलोमीटर बाहर अमिनगांव के मैदान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि एक समय असम समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्य आंदोलन की आग में जल रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में अब असम समेत पूरा नॉर्थ ईस्ट विकास की ओर चल निकला है. उनके निशाने पर एक बार फिर कांग्रेस रही. उन्होंने असम के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 18 सालों तक असम से सांसद रहे लेकिन असम के रॉयल्टी का मुद्दा सुलझा नहीं सके. जबकि प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को सुलझा दिया. उनके निशाने पर अलगाववादी संगठन भी रहे. उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही आंदोलन करने वाले फिर से लोगों को भ्रमित करेंगे लेकिन अब तक उनके आंदोलन से असम को क्या मिला?
अमित शाह के दौरे के क्या मायने हैं?
असम चुनाव से ठीक पहले अमित शाह का दौरा कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बीजेपी के दो सबसे प्रमुख मुद्दे एनआरसी और सीएए को लेकर असम देश में प्रयोगशाला के रूप में देखी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश में सबसे पहले एनआरसी का काम असम में ही शुरू किया गया. इसमें करीब 90 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है. ये अलग बात है कि सीएए कानून आने के बाद और एनआरसी के प्रारूप को लेकर खड़े हुए सवाल के बाद फिलहाल एनआरसी का काम रुका हुआ है. लेकिन यदि किसी भी कारण से असम बीजेपी के हाथ से निकलता है तो ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा. क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती है कि जिस सीएए और एनआरसी को लेकर वो विपक्ष पर निशाना साधती आ रही थी, वही विपक्ष चुनाव के बाद उनपर हमला करे.
इसीलिए बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह किसी भी कीमत पर असम में बीजेपी की वापसी का खाका तैयार करने में जुट गए हैं. शाह का मानना है कि किसी भी राज्य में सत्ता की चाभी तब तक मिलना संभव नहीं जब तक संगठन एकजुटता से आगे न बढ़े. जबकि असम में मुख्यमंत्री भले ही सर्बानंद सोनोवाल हो, लेकिन हेमंत विश्व सरमा सुपर सीएम के रूप में विख्यात हैं. बीजेपी की यदि यही सबसे बड़ी ताकत है तो यही सबसे बड़ी कमजोरी भी है. ऐसे में बीजेपी को पवार बैलेंस रखने की सबसे बड़ी चुनौती होगी.
सूत्रों की मानें तो अमित शाह ने शुक्रवार रात ही दोनों नेताओं के साथ लंबी बैठक की और संगठित होकर चुनाव लड़ने की हिदायत दी. साथ ही संगठन को पूरी तरह से एक्टिव करने को कहा गया है. शनिवार देर रात शाह इसी विषय पर असम बीजेपी की कोर कमेटी के साथ बैठक भी करने वाले हैं.
कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी
अमित शाह जब भी किसी राज्य में जाते हैं, राजनीतिक हलचल तेज हो जाती है. सूत्रों की मानें तो उनके आने से पहले ही कांग्रेस के तीन विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के कहानी लिख गई थी. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के विधायक अजंता, राजदीप ग्वाला और भुवन तेगू शनिवार देर रात अमित शाह से मिलने के बाद बीजेपी में शामिल हो जाएंगे जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
असम में अमित शाह ने पूछा- क्या कांग्रेस और बाकी दल घुसपैठ रोक सकते हैं?