असम विधानसभा चुनाव: राहुल गांधी की करीबी सांसद सुष्मिता देव ने नहीं दिया है इस्तीफा, नाराजगी की खबर
सुष्मिता देव को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. सुष्मिता देव टिकट बंटवारें में तवज्जो नहीं मिलने की वजह से नाराज हैं. सुष्मिता देव ने हालांकि अब तक कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से इस साल की सियासी शुरुआत हो रही है. विधानसभा चुनाव में सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का पारा बदल रहे मौसम की तरह चढ़ता जा रहा है. इस बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में घमासान की खबरें रोज सुर्खियां बटोर रही हैं. कांग्रेस में जी-23 नेतृत्व के प्रति मुखर हो रहा है. जम्मू से रणनीतिक तौर पर आवाज भी उठा रहा है.
चुनाव के दौरान नेताओं का पाला बदलना अब कोई बड़ी और चौंकाने वाली खबर नहीं है. पश्चिम बंगाल में मुकुल रॉय, अधिकारी परिवार के बाद पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बीजेपी का थाम लिया. इस बीच असम से एक बड़ी खबर सियासी चर्चा बटोर रही थी. महिला कांग्रेस की मुखिया सुष्मिता देव कांग्रेस से इस्तीफा देने की धमकी दी हैं. वह नाराज हैं. उन्होंने अपनी नाराजगी कांग्रेस नेतृत्व को बता दिया. वजह-बताया जा रहा था कि उनको उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में उचित सम्मान नहीं मिला. जिससे वह आहत थीं. टिकट बंटवारे से वह बेहद खिन्न थीं.
अब सूत्रों के मुताबिक उनके करीबी लोगों ने कहा कि वह इस्तीफा नहीं दे रही हैं. वह कांग्रेस के साथ हैं. यह सब अफवाह है. सूबे की कांग्रेस कमिटी ने भी इस्तीफे की खबर का खंडन किया है. बता दें कि सुष्मिता देव को राहुल गांधी कैंप का कहा जाता है.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन पाचों राज्यों के चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर पूर्वी राज्य असम में विधानसभा की 126 सीटों पर तीन चरणों में वोट डाले जाएंगे. पहले चरण के लिए 27 मार्च को वोटिंग होगी. 2 मई को वोटों की गिनती होगी.
असम में सत्ताधारी बीजेपी गठबंधन वापसी की उम्मीद लगाए हैं तो वहीं कांग्रेस भी गठबंधन के साथ बीजेपी को कुर्सी से हटाने की कोशिश में लगा हुआ है.
2016 के चुनाव में कैसी थी असम की सियासी तस्वीर?
बीजेपी असम में 2016 के विधानसभा चुनाव में कुल 126 सीटों में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 60 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस 122 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 26 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी. एजीपी 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 14 पर सफलता हासिल की थी.
वहीं बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ ने 74 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई और 13 सीटों पर सफलता मिली. बीओपीएफ ने 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 12 पर उसके उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे. विधानसभा चुनाव में सीपीआई 15 सीटों पर चुनाव लड़ी था लेकिन खाता नहीं खुला.