Assam CM Himanta Biswa Sarma: असम विधानसभा में जुमे की नमाज का ब्रेक खत्म करने को लेकर सियासत गरमाती जा रही है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार (30 अगस्त) को असम विधानसभा में शुक्रवार को दो घंटे के नमाज ब्रेक को रद्द करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी और औपनिवेशिक युग की प्रथाओं का खात्मा होगा. असम सीएम के इस फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने बड़ा हमला बोला है. 


आईएएनएस के मुताबिक, डॉ सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि मुझे लगता है, "असम सरकार और मुख्यमंत्री हिमंत सरमा को इन चीजों में ज्यादा दिलचस्पी है. उन्हें डेवलपमेंट, प्रोग्रेस, राहत का काम करने, लोगों को सुविधाएं दिलाने और जनकल्याणकारी नीतियों में कोई विश्वास नहीं है." उन्होंने कहा, "सरमा को लगने लगा है कि उनकी नई पार्टी बीजेपी के जो आका हैं, उनसे खुश नहीं हैं. ऐसे में ज्यादा वफादारी दिखाने के चक्कर में वह यह सब हरकतें कर रहे हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है."


सदियों से चली आ रही परंपराओं को रोकना ठीक नहीं: सैयद नसीर हुसैन


कांग्रेस राज्यसभा सांसद ने यहां तक दावा किया कि जब असम में विधानसभा चुनाव होंगे तो बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ेगा. सैयद नसीर हुसैन ने कहा, "आने वाले चुनाव में वह हारने वाले हैं, इसलिए वह डिवाइड और पोलराइजेशन के मुद्दे के जरिये सियासत कर रहे हैं. हिंदुस्तान में हर समुदाय और हर धर्म के लोग रहते हैं. सदियों से चली आ रही उनकी सभ्यताएं और मान्यताएं हैं. उसको रोकना और उसको खत्म करना यह किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं होगा."


हिंदू-मुस्लिम विधायकों ने बैठकर लिया जुमा नमाज ब्रेक खत्म करने का फैसला: CM सरमा


वहीं, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार (31 अगस्त) को पत्रकारों से बात करते हुए जुमा नमाज ब्रेक खत्म किए जाने को अकेले लिया गया फैसला नहीं बताया. उन्होंने कहा, "हमारी विधानसभा के हिंदू और मुसलमानों ने मालास नियम समिति में बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दो घंटे का ब्रेक ठीक नहीं है. हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए. यह प्रथा 1937 में शुरू हुई और कल से बंद कर दी गई है. यह सर्वसम्मत निर्णय है. ये सिर्फ मेरा अकेले का फैसला नहीं है." 


असम में जुमा ब्रेक को लेकर क्या नियम था?


औपनिवेशिक असम में सादुल्लाह की मुस्लिम लीग सरकार द्वारा असम विधानसभा में दो घंटे के जुमा नमाज ब्रेक को पेश किया गया था. विधानसभा ने इस प्रथा को खत्म कर दिया है. पुराने नियम के मुताबिक, मुस्लिम सदस्यों को नमाज पढ़ने की सुविधा देने के लिए शुक्रवार को विधानसभा की बैठक सुबह 11 बजे स्थगित कर दी जाती थी. मगर अब नए नियम के अनुसार, विधानसभा में किसी भी धार्मिक कार्य के लिए कोई ब्रेक नहीं दिया जाएगा और बिना स्थगन के कार्यवाही चलेती रहेगी. 


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