Jumma Break: असम विधानसभा ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आधिकारिक तौर पर दो घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म कर दिया है. ऐतिहासिक रूप से शुक्रवार को मनाया जाने वाला यह ब्रेक सबसे पहले 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने शुरू किया था.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार (30 अगस्त) को इस ऐतिहासिक फैसले के लिए आभार व्यक्त किया. एक बयान में उन्होंने दक्षता और प्रगति को प्राथमिकता देने के लिए स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और विधायकों की प्रशंसा की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "2 घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हटा दिया है.”
सीएम सरमा ने आगे कहा, ”यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में शुरू की थी. इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए मैं स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों का आभार व्यक्त करता हूं."
मुस्लिम विवाह और तलाक संबंधित विधेयक भी हुआ पारित
गौरतलब है कि इससे पहले गुरुवार को असम विधानसभा ने मुसलमानों के विवाह और तलाक के पंजीकरण के कानून को निरस्त करने के लिए भी एक विधेयक पारित किया था. राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम निरसन अध्यादेश 2024 को खत्म करने के लिए 22 अगस्त को असम निरसन विधेयक, 2024 को पहली बार पेश किया था.
'काजी प्रथा भी खत्म करना चाहते हैं'
इसको लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था, "हमारा उद्देश्य न केवल बाल विवाह को खत्म करना है, बल्कि काजी प्रथा को भी खत्म करना है. हम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण को सरकारी प्रणाली के तहत लाना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किया जाना है, लेकिन राज्य इस उद्देश्य के लिए काजी जैसी निजी संस्था का समर्थन नहीं कर सकता.