असम से लेकर बिहार तक बाढ़ से जनजीवन बेहाल, सैकड़ों गांव डूबे, लाखों लोग प्रभावित
बिहार बाढ़ की मार से परेशान है. भारी बारिश के कारण यहां के कई गांव जलमग्न हो गए हैं. आलम ये हो गया है कि यहां सड़कों पर लोग नाव लेकर निकल रहे हैं. मकान पूरी तौर पर जलमग्न हो गए हैं. वहीं असम के 33 में से 28 जिले ब्रह्मपुत्र नदी में आई बाढ़ से प्रभावित हैं.
पटना-गुवाहटी: बिहार की सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं. राज्य के कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. राज्य की कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे आठ जिलों के 30 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं. वहीं असम के 33 में से 28 जिले ब्रह्मपुत्र नदी में आई बाढ़ से प्रभावित हैं. बारिश ने स्थिति और बिगाड़ दी है. पिछले 7 हफ्तों में 76 लोगों की जान इस बाढ़ की वजह से जा चुकी है.
असम में बाढ़ का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. बाढ़ के कारण लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. अब यहां के लोगों के सामने खाने का संकट भी पैदा हो गया है. बाढ़ के कारण कई लोग अपनी जमीन, घर और अपने परिजनों को खो चुके हैं. बाढ़ का कहर इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों पर भी पड़ा है. अबतक 66 जानवर जान गंवा चुके हैं. कुछ बेसुध हालत में काजीरंगा नेशनल पार्क से बाहर निकलकर सड़क पर पड़े दिखे.
काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 प्रतिशत हिस्सा डूबा असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में जानवरों के परेशान होने की वजह उसका डूबना है. मिली जानकारी के मुताबिक, पार्क का 80 प्रतिशत हिस्सा डूब गया है. असम की इस बाढ़ में काजीरंगा नैशनल पार्क के कई गैंडों की मौत हो गई है. कई हिरण पानी ब्रह्मपुत्र के बहाव में इधर-उधर बह गए हैं.
असम के 28 जिलों के 54 लाख लोग बाढ़ के कारण प्रभावित
प्रदेश के 33 जिलों में से 28 जिलों के 54 लाख लोग इस जल प्रलय के कारण प्रभावित हुये हैं. बुलेटिन में कहा गया है कि इस साल प्रदेश में बाढ़ व भूस्ख्लन से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 102 हो गई है. प्रदेश में बाढ़ संबंधी घटनाओं में 75 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि भूस्खलन में 26 लोगों की मौत हो चुकी है.
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्र सरकार से प्रदेश में बाढ़ की स्थिति पर तुरंत ध्यान देने व प्रदेश को अधिक से अधिक सहायता देने की अपील की है. असम के कुछ हिस्सों में बाढ़ के कारण लोगों की मौत व संपत्ति के नुकसान पर दलाई लामा ने भी दुख जताया है.
बिहार में खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं नदियां बिहार जल संसाधन विभाग के अनुसार , शनिवार को बागमती नदी सीतामढ़ी के कटौंझा और मुजफ्फरपुर के बेनीबाद और दरभंगा के हायाघाट में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जबकि कमला बलान झंझारपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इधर, महानंदा पूर्णिया के ढेंगराघाट में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है.
कोसी के जलस्तर में मामूली कमी कोसी के जलस्तर में मामूली कमी देखी जा रही है. कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास शनिवार को सुबह छह बजे 1.49 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे घटकर 1.47 लाख क्यूसेक हो गया. गंडक नदी का जलस्तर बाल्मीकिनगर बैराज के पास सुबह आठ बजे 1.52 लाख क्यूसेक था.
जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन अलर्ट जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने बताया कि अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर गई थी किंतु अब इसकी प्रवृत्ति घटने की है. उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन के लोग अलर्ट हैं. जहां-जहां दिक्कतें हुई हैं, वहां अधिकारी पहुंच रहे हैं.
नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने कसी कमर संजीव हंस ने कहा, "कमला नदी में मनरेगा से निर्मित लघु बांध बायें किनारे में भोजपट्टी गांव के समीप एवं दाएं किनारे में पोस्तापुर गांव के पास ओवरटपिंग होने से आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है. इसके साथ ही दरभंगा कमतौल रेलवे लाइन के सटे अपस्ट्रीम में दरभंगा बागमती नदी के दायें किनारे से रेलवे के तटबंध के गोपालपुर गांव में जाने वाली पगडंडी के क्षतिग्रस्त भाग से प्रवाहित हो रहा है."
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है.
30 प्रखंडों की 147 पंचायतें आंशिक रूप से प्रभावित नदियों का जलस्तर बढ़ने से अभी बिहार के आठ जिलों सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज एवं पूर्वी चम्पारण के कुल 30 प्रखंडों की 147 पंचायतें आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं, जहां आवश्यकतानुसार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं.
लोगों की मदद के लिए चलाए जा रहे हैं राहत शिविर अपर सचिव रामचंद्र ने कहा, "सुपौल और गोपालगंज में दो-दो राहत शिविर चलाए जा रहे हैं जहां 1,063 लोग रह रहे हैं. गोपालगंज में 8, सुपौल में 02 और दरभंगा में 11 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं. इस प्रकार कुल 21 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन लगभग 11,000 लोग भोजन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह अलर्ट है और सम्पूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है."
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