Assam Politics: हाल ही में हुए उपचुनावों में अपना गढ़ सामगुरी हारने के बाद, असम कांग्रेस ने एक ऐसा रास्ता अपनाया है, जिससे उसके अपने ही कुछ वरिष्ठ नेता असहज हो गए हैं. सामगुरी से पांच बार के विधायक रह चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता रकीबुल हुसैन कह रहे हैं कि बीजेपी ने मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में “बीफ के जरिए” मतदाताओं को लुभाकर जीत हासिल की है.
असम में हाल ही में हुए उपचुनावों में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सीट समागुरी भी शामिल है, जो रकीबुल हुसैन का गढ़ है. हुसैन के लोकसभा में चुने जाने के कारण उपचुनाव कराना पड़ा. समागुरी उपचुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से उनके 26 साल के बेटे तंजील को बीजेपी के दिप्लू रंजन सरमा ने हराया.
क्या बोले कांग्रेस नेता?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम के अलग-अलग इलाकों का दौरा करते हुए हुसैन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और बीजेपी ने “बीफ की पेशकश” और “बंगाली मुस्लिम मतदाताओं का पीछा करके” हिंदुत्व के साथ “विश्वासघात” किया है, जिसका वे दावा करते हैं. लखीमपुर के रंगनदी में असम कांग्रेस प्रमुख भूपेन बोरा की मौजूदगी में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह उत्तर और ऊपरी असम में रहने वाले “जातीय असमिया समुदायों” के साथ भी विश्वासघात है और सरमा को “दोगला” कहा.
बंगाली मुसलमानों को “बाहरी” बताकर निशाना बनाना असम में बीजेपी की राजनीति का एक मुख्य मुद्दा है, जिससे कांग्रेस के लिए यह मुश्किल रास्ता बन गया है. यह सुझाव कि समुदाय बीफ खाता है, हिंदुत्व विचारधारा और रूढ़िवादिता को भी बढ़ावा देता है.
हिमंत बिस्वा सरमा ने किया पलटवार
सीएम सरमा ने बीते रविवार (01 दिसंबर, 2024) को हुसैन की टिप्पणियों को पलटते हुए कहा कि अगर कांग्रेस “इसके लिए कहती है” तो उनकी सरकार राज्य में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने को तैयार है.
उन्होंने कहा, “मैं रकीबुल हुसैन से कहना चाहता हूं कि बीफ पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खुद कहा है कि यह गलत है. इसलिए, मैं भूपेन बोरा को लिखूंगा और उनसे पूछूंगा कि क्या वह भी रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हैं और मुझे बता दें. मैं अगले विधानसभा में (तदनुसार) बीफ पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दूंगा. तब बीजेपी, एजीपी, सीपीआई (एम), कोई भी पेशकश नहीं कर पाएगा. हिंदू, मुस्लिम और ईसाई, सभी को बीफ खाना बंद कर देना चाहिए और सभी समस्याएं हल हो जाएंगी.”
रंगनाडी में आयोजित सभा में हुसैन ने कहा, “हिमंत बिस्वा सरमा, जिन्हें आप, उत्तरी असम और ऊपरी असम के लोग पहचानते और समझते हैं, निचले असम में उनका चेहरा बिल्कुल अलग है. वे कहते हैं कि उन्हें ‘मिया (बंगाली-मुसलमानों के लिए एक अपमानजनक शब्द) वोट’ नहीं चाहिए, लेकिन आप इस बात पर यकीन नहीं करेंगे कि जीतने के लिए उन्होंने गाय को मार डाला और दावत दी.”
सीएम सरमा ने सामगुरी के नतीजों और सीट से हिंदू उम्मीदवार की जीत को राज्य की राजनीति में एक "मील का पत्थर" करार दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह सिर्फ शुरुआत है और 2026 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी उत्तर करीमगंज, दक्षिण करीमगंज, लहरीघाट, रूपोही और सामगुरी पांच मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में पैठ बनाएगी.
कांग्रेस में दिखा मतभेद
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि पार्टी को इस तरह की रणनीति अपनाने से बचना चाहिए था और सामगुरी में हार से राज्य में मतदाताओं के व्यवहार में कोई खास बदलाव नहीं दिखता.
सीनियर लीडर ने कहा, “इस रणनीति से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि इससे बीजेपी को ही फायदा होगा. यह हुसैन की प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास है, क्योंकि परिणाम उनके खिलाफ जनादेश था, लेकिन पार्टी ने भी इसका समर्थन किया है. हमें अपनी ताकत के दम पर लड़ना चाहिए. परिणाम से अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच समर्थन में कमी नहीं दिखती, तो पार्टी को उनसे दुश्मनी क्यों करनी चाहिए? ऐसे मुद्दों पर बीजेपी से आगे निकलने की कोशिश कभी कारगर नहीं होती.”
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