Assam Delimitation: 35 से घटकर अब असम में रह जाएंगे 31 जिले, फैसले पर मुख्यमंत्री ने कहा- उम्मीद है लोग सहयोग करेंगे
Assam delimitation: असम के CM ने कहा कि मैं आज लिए गए फैसलों से बेहद खुश नहीं हूं, लेकिन कभी-कभी न चाहते हुए भी हमें प्रशासनिक जरूरतों, राज्य की बेहतरी और विकास के लिए ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं.
Assam News: असम मंत्रिमंडल की बैठक में शनिवार (31 दिसंबर) को एक बड़ा फैसला लिया गया. दरअसल, विधानसभा और संसदीय सीटों के लिए परिसीमन शुरू करने की चुनाव आयोग (ईसी) की समय सीमा से एक दिन पहले चार जिलों का मौजूदा जिलों में विलय किया गया. इसके साथ ही 14 स्थानों पर फिर से सीमाएं तय करने का फैसला किया गया.
असम मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार बिश्वनाथ जिले को सोनितपुर, होजई को नौगांव, बजाली को बारपेटा और तमुलपुर को बक्सा में मिला दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और अधिसूचना जारी कर दी गई है. राज्य के जिलों की संख्या अब 35 से घटकर 31 हो जाएगी.
न चाहते हुए भी यह फैसला लेना पड़ा- सीएम
इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मुझे न चाहते हुए भी यह फैसला लेना पड़ रहा है. सरमा ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि मैं आज लिए गए फैसलों से बेहद खुद नहीं हूं, लेकिन कभी-कभी न चाहते हुए भी हमें प्रशासनिक जरूरतें, राज्य की बेहतरी और विकास के लिए ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं.
चार जिलों को फिर से पुनर्जीवित करेंगे
उन्होंने कहा कि यह एक ट्रांज़िशनल फेज है. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि परिसीमन की कवायद खत्म होने के बाद हम चार जिलों को फिर से पुनर्जीवित करेंगे. इस बीच, चार जिलों में न्यायिक, पुलिस और प्रशासनिक कार्यालय हमेशा की तरह काम करते रहेंगे.
उम्मीद है जनता हमारा सहयोग करेगी- CM
उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है कि जनता हमारे विचार को समझेगी और हमारे साथ सहयोग करेगी. उन्होंने बताया कि हमें ये फैसले साल के आखिरी दिन लेने थे क्योंकि चुनाव आयोग ने पहले ही परिसीमन की कवायद शुरू कर दी है और कल से, हम कवायद खत्म होने तक ऐसा कोई उपाय नहीं कर पाएंगे.
चुनाव आयोग ने लिया था फैसला
गौरतलब है कि 27 दिसंबर को चुनाव आयोग ने 126 विधानसभा और 14 संसदीय सीटों के नए सिरे से परिसीमन की घोषणा की और 1 जनवरी से नई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया. जबकि परिसीमन के कारण सीटों में कोई वृद्धि नहीं होगी, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से परिभाषित किया जाएगा.
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