'इतिहास को फिर से लिखने की है जरूरत, वामपंथियों ने की छेड़छाड़'- असम CM हिमंत बिस्वा सरमा का बयान
Himanta Biswa Sarma: असम के सीएम बोले- वामपंथी दशकों तक हमारे राज्य को भाषायी आधार पर विभाजित करने की कोशिश करते रहे हैं. हम लोगों को अपनी धार्मिक समानताएं अपनाकर ऐसी कोशिशों को रोकना चाहिए.
Himanta On History: 'देश में इतिहास (History) को फिर से लिखने की जरूरत है, क्योंकि वामपंथियों ने हमारे इतिहास को हमेशा विकृत करने की कोशिश की है.’ यह बयान है पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का, जहां बीजेपी (BJP) की सरकार है. हिमंत बिस्वा सरमा ने वामपंथी इतिहासकारों पर भारतीय इतिहास (Indian History) को पराजय और समर्पण की कहानी बताकर उसे ‘विकृत’ करने का आरोप लगाया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि देश की विजयगाथा को दर्ज करने के लिए इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए. सरमा ने वामपंथियों पर यह भी आरोप लगाया कि वामपंथी विचारधारा के लोग दशकों तक राज्य को भाषायी आधार पर विभाजित करने की कोशिश करते रहे हैं और लोगों को अपनी ‘‘धार्मिक समानताएं’’ अपनाकर ऐसी कोशिशों को हराना चाहिए.
'वामपंथी इतिहासकारों ने हमारे नायकों को नजरअंदाज किया'
हिमंत बिस्वा सरमा ने ये बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 28वें राज्य सम्मेलन को संबोधित करते समय कहीं. उनका कहना था, ‘‘वामपंथी इतिहासकारों ने उन राजाओं और नायकों को नजरअंदाज किया जिन्होंने विरोध किया और मुगल हमलों को सफलतापूर्वक शिकस्त दी और केवल उनके बारे में लिखा जो पराजित हुए थे.’’
बिस्वा सरमा ने गुरु गोबिंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, दुर्गा दास राठौड़ और लंचित बोरफुकान के उदाहरण दिए जिन्होंने मुगल सेनाओं के खिलाफ सफल अभियान चलाया. सरमा ने आरोप लगाया कि वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास लिखते समय उनके कारनामों को छोड़ दिया.
'इतिहास को नए सिरे से लिखने का वक्त आया'
बिस्वा सरमा का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि इतिहास को नए सिरे से लिखा जाए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें इतिहास के छात्रों को इसे फिर से लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए जो पराजय और गुलामी की कहानी न हो बल्कि गौरव और उपलब्धि की कहानी हो. इससे हमारी नई पीढ़ी को देश निर्माण की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी.’’
'भाषा तभी जीवित रहेगी जब धर्म-संस्कृति जीवित रहेंगे'
बिस्वा सरमा ने वामपंथी बुद्धिजीवियों पर असम के लोगों को भाषायी आधार पर बांटने का भी आरोप लगाया क्योंकि राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं. उन्होंने कहा कि भाषा एक महत्वपूर्ण तत्व है लेकिन यह किसी समुदाय और धर्म की इकलौती पहचान नहीं हो सकती तथा इतिहास भी समान रूप से अहम भूमिकाएं निभाता है. उन्होंने कहा, ‘‘भाषा तभी जीवित रहेगी जब हमारा धर्म और संस्कृति जीवित रहेगा.’’
'सभी जनजातियों और समुदायों को समान महत्व मिले'
बिस्वा सरमा ने असमी भाषी वक्ताओं से राज्य की अन्य भाषाओं को अपनाने तथा यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि सभी जनजातियों और समुदायों को समान महत्व मिले. बिस्वा सरमा ने आर्थिक आत्म-निर्भरता की आवश्यकता पर भी जोर दिया और युवाओं से कौशल विकास, उद्यमशीलता तथा कृषि पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया.
पीएम ने ‘आत्म निर्भर’ बनाने पर जोर दिया है
बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘एक समुदाय को सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक गौरव की आवश्यकता होती है. लेकिन अगर हम आर्थिक रूप से प्रगति नहीं करते हैं तो हम ‘आत्म निर्भर’ नहीं बन सकते, जिस पर हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत जोर दिया है.’’
असम और पूर्वोत्तर ऐतिहासिक रूप से भारत से जुड़ा
बिस्वा सरमा ने युवाओं से खेती का बीड़ा उठाने तथा अपनी जमीन खेती के लिए दूसरों को न देने का भी अनुरोध किया. उन्होंने दावा किया कि गलत तरीके से यह धारणा बनायी गई कि असम और पूर्वोत्तर ऐतिहासिक रूप से भारत के शेष हिस्से से जुड़ा हुआ नहीं है, जिसने आजादी के बाद देश के इस हिस्से में ‘‘विचारों की एक अलग धारा’’ को जन्म दिया.
'इतिहास की सही समझ से चुनौतियों से निपटना होगा'
बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘हम अब असम में विशेष भौगोलिक और राजनीतिक चरण में है. हमारे सामने कई चुनौतियां हैं और हमें इतिहास की सही समझ के साथ इनसे निपटना होगा.’’