असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई का सामना करने वाले पांच परिवारों को 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया है. बुधवार (22 मई) को सरकार ने ग्वालियर हाईकोर्ट को इसके बारे में सूचित किया. साल 2022 में एक मछली व्यापारी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद कुछ लोगों ने गुस्से में नागांव जिले के एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी. इसके बाद बटाद्रावा में कुछ लोगों के खिलाफ बुलडोजर बुलडोजर की कार्रवाई हुई थी, जिनमें पुलिस स्टेशन में आग लगाने के पांच आरोपियों के भी घर थे. प्रशासन का कहना था कि ये लोग यहां अवैध तरीके से रहे हैं और उनके पास जो दस्तावेज हैं वो भी फर्जी हैं.
बुधवार (22 मई) को ग्वालियर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस सुमन श्याम की बेंच के सामने सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट डी नाथ ने मुआवजे संबंधित रिपोर्ट पेश की. सरकार ने बताया कि पांच परिवारों को 30 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी गई है. साथ ही पुलिस कस्टडी में जिस मछली व्यापारी की मौत हुई थी, उसके लिए 2.5 लाख रुपये की अलग से मुहैया राशि सैंक्शन की है. मृतक का नाम सफीकुल इस्लाम था.
सरकार ने कोर्ट को बताया कि सफीकुल इस्लाम के परिवार की तरफ से जरूरी दस्तावेज नहीं दिए गए हैं, जिसकी वजह से उन्हें मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सके. एडवोकेट डी नाथ ने कोर्ट को सूचित किया कि सोमवार को बाकी पांच परिवारों को मुआवजा राशि दी जा चुकी है.
पिछले साल हाईकोर्ट ने सरकार को बुलडोजर की कार्रवाई का सामना करने वाले परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया था. इससे पहले कोर्ट ने मामले में तत्कालीन सुपरिटेंडेंट को फटकार लगाते हुए कहा था कि जांच के नाम पर किसी के भी घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है.
24 अप्रैल को इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडमिन) ने कंपेनसेशन प्रोपोजल सब्मिट कर बुलडोजर कार्रवाई में ढहाए गए पक्के मकानों के लिए 10 लाख और कच्चे मकानों के लिए 2.5 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया था.
यह घटना दो साल पहले 21 मई को हुई थी. जब सफीकुल इस्लाम की मौत के बाद बटाद्रावा पुलिस स्टेशन में गुस्साई भीड़ ने आग लगा दी थी. इसके अगले दिन प्रशासन ने कुछ लोगों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की थी, जो आगजनी की घटना में शामिल थे.