असम: ढुबरी जिले में आई बाढ़ ने तोड़ा साल 1988 का रिकॉर्ड, सेना और NDRF की टीम मदद में जुटी
जिला प्रशासन लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए सेना और एनडीआरएफ की भी मदद ले रहा है. ये टीम जानवरों तक दवाइयां पहुंचाने में भी मदद कर रही है. पिछले कुछ घंटों में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी 4-5 फ़ीट कम हुआ है लेकिन बावजूद इसके अभी भी ढुबरी के सैकड़ों गांव पानी में डूबे हुए हैं.
दिसपुर: भारत-बांग्लादेश सीमा पर बसा असम का ढुबरी जिला हर साल बाढ़ की मार झेलता है. ब्रह्मपुत्र नदी के साथ ही कई छोटी-बड़ी नदियों के किनारे बसे होने की वजह से ढुबरी हर साल बाढ़ के पानी में डूबता है. हालांकि इस बार की बाढ़ ने ढुबरी में 1988 में आई बाढ़ का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. साल 1988 में बाढ़ का पानी ढुबरी में समुद्र तल से 30.36 इंच ऊंचाई तक पहुंचा था जो इस बार 1 इंच और बढ़ गया. दो दिन पहले तक ढुबरी टाउन भी पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ था और एक तरह से देश के बाकी हिस्सों से एक हफ्ते तक कटा हुआ था. पिछले कुछ घंटों में ब्रह्मपुत्र नदी का पानी 4-5 फ़ीट कम हुआ है लेकिन बावजूद इसके अभी भी ढुबरी के सैकड़ों गांव पानी में डूबे हुए हैं.
जिला प्रशासन लोगों तक रिलीफ पहुंचाने के लिए सेना और एनडीआरएफ की भी मदद ले रहा है. ढुबरी जिला सिर्फ ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे ही नहीं बसा बल्कि ढुबरी के दर्जनों गांव ब्रह्मपुत्र नदी की गोद में भी बसे हैं. ब्रह्मपुत्र नदी के बीचों-बीच कई छोटे-बड़े टापू हैं जिनपर सैकड़ों गांव बसे हुए हैं जहां हजारों की तादाद में लोग रहते हैं.
हर साल बारिश के मौसम में ये इलाके पानी में डूबते हैं लेकिन इस बार ब्रह्मपुत्र नदी अपनी सारी सीमाएं भूल गई है. इन टापुओं पर रहने वाले लोग बाढ़ आने पर इलाके की सबसी ऊंची जगह पर अस्थाई तौर पर रहते हैं, जानवर भी वहीं रखे जाते हैं. लेकिन इस बार की बाढ़ ने लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया हालांकि बीते दो दिनों में थोड़ा पानी कम होने पर लोग वापस अपने इलाकों में लौट रहे हैं.
कुछ लोग एक हफ्ते से बाढ़ में फंसे हुए थे. बाढ़ की विभीषिका से इंसान ही नहीं बल्कि बेजुबान जानवर भी परेशान होते हैं. बाढ़ के गंदे पानी की वजह से जानवरों को गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है. बाढ़ के बाद जानवरो की बीमारियों से मौते भी होती हैं इसलिए जिला प्रशासन सेना और एनडीआरएफ की मदद से इन गांवों में जानवरों के लिए दवाइयां उपलब्ध कराने पहुंचा है.
बीमार गायों को दवाइयां दी गईं और इंजेक्शन लगाए गए. पेट की बीमारियों के साथ ही पानी की वजह से जानवरों के पैरों में होने वाले जख्मों के लिए दवाइयां उपलब्ध कराई. ब्रह्नपुत्र नदी के बीच टापू पर बसे चलाखुरा पार्ट-4 गांव में एबीपी न्यूज़ की टीम ने बाढ़ के हालात का जायज़ा लिया. गांवों में लोगों के घर-खेत तबाह और अनाज बर्बाद हो गए हैं. टापू की मिट्टी दलदली होने के साथ ही चिपचिपी भी है जिसपर चलना तो दूर खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है.