Poisnious Snake Bite: जहरीले सांप के काटने से होने वाली मौत आम बात है. खासकर भारत (India) में सांपो के काटने के मामले भी आते हैं, जो हर हाल में एक चिंता का विषय भी बना रहता है. भारत के असम (Assam) में सांप के डसने के बाद उपचार के लिए झाड़-फूंक करने वालों की मदद लेने के कारण लोगों की मौत हो जाना आम बात है. ऐसे में शिवसागर जिले में एक ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने एक समग्र देखभाल मॉडल (Model) तैयार किया है, जिससे 2024 तक यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सांपों के काटने से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हो.
कौन है वो डॉक्टर जिन्होंने किया है दावा?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में निश्चेतनाविज्ञानी (एनेस्थिसियोलॉजिस्ट) और देमोव ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (डीआरसीएचसी) में कार्यरत डॉ. सुरजीत गिरि ने राज्य सरकार के सहयोग से अपने समग्र मॉडल में सर्पदंश प्रबंधन प्रणाली में खामियों का पता लगाकर उन्हें दूर करने की कोशिश की बात की है. उन्होंने 2024 तक सुनिश्चित करने का भारोसा जाताया. गिरि ने ‘पीटीआई भाषा’ से ये भी कहा, ‘‘पूर्वोत्तर क्षेत्र समेत देशभर में इन मामलों में मृत्यु की उच्च दर का अहम कारण सर्पदंश प्रबंधन में अच्छे समग्र देखभाल का अभाव है.
डॉ.सुरजीत गिरि कब से कर रहे है मॉडल पर काम?
गिरि ने बताया कि डीआरसीएच (DRCH) 2018 के साथ मिलकर इस मॉडल पर काम कर रहे है. इस मॉडल को सर्पदंश पीड़ितों की निवारक, उपचारात्मक, मानसिक एवं सामाजिक-आर्थिक देखभाल के लिए बनाया गया है. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ‘आपदा मित्र’ परियोजना के तहत एक ‘विष प्रतिक्रिया दल’ का गठन किया गया है, जो मरीजों को सुरक्षित रूप से नजदीकी अस्पताल लाने का काम करेगा. जरूरत पड़ने पर सर्प विष रोधी (एएसवी) और अन्य दवाओं को देने के लिए एक इमरजेंसी प्रतिक्रिया दल का गठन किया है, जिसमें ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर और नर्स शामिल होंगे.
मॉडल से लोगों को मिला फायदा
शिवसागर जिले के वरिष्ठ डॉक्टर अधिकारी डॉ. सिमंत ताये ने कहा, ‘‘इस परियोजना से उन लोगों को बहुत फायदा हुआ है, जिन्हें सांप ने डसा है. लोग इलाज के लिए अब तुरंत अस्पतालों में आने से भी नहीं हिचकिचाते’’. डीआरसीएच (DRCH) में इस परियोजना पर काम 2008 में तब शुरू हुआ, जब एक महिला को सांप ने डस लिया था.
इससे पहले किसी स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर ने इलाज किया था और जब उसे अस्पताल लाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसे बचाया नहीं जा सकता था. गिरि ने बताया कि डीआरसीएच में 2018 से अब तक 1,048 सर्पदंश पीड़ितों को पंजीकृत किया गया है और अब तक केवल एक मौत हुई है.
सांप के डसने पर लोगों के झाड़-फूंक करवाने के कारण
सांप के डसने पर लोगों के झाड़-फूंक करने वालों के पास जाने के कई कारण हैं, उनमें जागरूकता की कमी, एएसवी देने के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा कर्मियों में प्रशिक्षण का अभाव और स्वास्थ्य केंद्रों में एएसवी की अनुपलब्धता शामिल हैं. इस पर गिरि ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य लोगों एवं स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को शिक्षित, सशक्त एवं प्रशिक्षित करना, सामुदायिक केंद्रों को मजबूत करना और लोगों को यह भरोसा दिलाना है कि विषैले या बिना विष वाले सांपों के डसने के मामलों का पूरी तरह डॉक्टर उपचार संभव है’’.
एक पीड़ित ने भी साझा किया अनुभव
प्रशांत तांती और उनके 10 वर्षीय बेटे शुभम को इस साल मार्च में सांप ने डस लिया था, लेकिन एक पड़ोसी उन्हें स्वास्थ्य केंद्र ले गये, जिससे समय पर उनका उपचार हो गया. प्रशांत ने कहा, ‘‘मेरे पैर हाथी की तरह सूज गए थे लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में समय पर इलाज होने से हमारी जान बच गई. हमारे गांव में सांप का डसना आम बात है, लेकिन लोग ज्यादातर झाड़-फूंक करने वालों की मदद लेते हैं, लेकिन मैं उन्हें अस्पतालों जाने के लिए कहता हूं.’’
विश्व भर में सांप के काटने के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सर्पदंश के कारण विश्वभर में हर साल 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती हैं, जिनमें से 50,000 लोगों की मौत भारत में होती है.
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