असम: बंद होंगे सरकारी मदरसे-संस्कृत स्कूल, हेमंत बिस्व सरमा बोले- हमने शिक्षा को सेकुलर बनाने का फैसला किया
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था.
गुवाहाटी: असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने राज्य में सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने पर कहा कि हमारी कैबिनेट ने शिक्षा को सेकुलर बनाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि असम में मदरसे अन्य सामान्य शिक्षण संस्थान की तरह काम करेंगे.
असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा, "कल हमारी कैबिनेट ने शिक्षा को सेकुलर बनाने का फैसला किया. असम में 198 उच्च मदरसा और 542 अन्य मदरसे किसी अन्य सामान्य शिक्षण संस्थान की तरह काम करेंगे और छात्रों को धर्मशास्त्रीय स्टडीज़ में एडमिशन नहीं दिया जाएगा."
रविवार को कैबिनेट से मिली मंज़ूरी आपको बता दें कि असम कैबिनेट ने रविवार को सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और इस सिलसिले में राज्य विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा.
असम सरकार के प्रवक्ता चंद्र मोहन पटवारी ने बताया, ‘‘मदरसा और संस्कृत स्कूलों से जुड़े वर्तमान कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा. विधानसभा के अगले सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा.’’ असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू होगा.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था. शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व ने अक्टूबर में कहा था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है. उन्होंने कहा था कि राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा.
मंत्री ने कहा था कि सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील कर दिया जाएगा और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा. सरमा के मुताबिक संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा.
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