कोलकाता: असम में कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. वहीं इस चुनाव अभियान से अभिनेता भी जुड़ रहे हैं. बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने असम के चाय बागानों में ड्राइविंग करते हुए अपने अनुभव को समझाने की कोशिश. असम विधानसभा चुनाव से पहले विवेक ओबेरॉय भारतीय जनता पार्टी के डिजिटल अभियान में शामिल हुए हैं. वहीं एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया था, जिसमें अभिनेता को असम में चाय बागान श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के जरिए किए गए काम की व्याख्या करते हुए देखा गया था.


विवेक ओबेरॉय ने कहा, 'मुझे लगता हैं असम सरकार ने बहुत बढ़िया काम किया है. अभी जो हमारे मुख्यमंत्री है सर्बानंदा सोनोवाल जी और उनकी पूरी सरकार ने बहुत बढ़िया काम किया खासकर चाय एस्टेट श्रमिकों के लिए, जो इतने सालों से अपनी आये बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे थे. एक मुहिम चला रहे थे कि हमारे लिए कुछ किया जाए. अब जाकर इतना बड़ा कुछ हुआ है. कुल मिलाकर सारी सुविधाएं राशन से लेकर रहने की जगह सब मिलकार 350-400 रुपये के करीब चाय बागान के श्रमिकों के लिए हुए है. मुझे लगता हैं इससे उनका भी फायदा होगा. वो भी अपने बच्चों का पालन-पोषण कर पाएंगे. उनके शिक्षा में कुछ अच्छा कर पाएंगे.'





असम के वित्त मंत्री और बीजेपी के मुख्य पोल रणनीतिकार हिमंत बिस्वा सरमा ने चाय एस्टेट मालिकों को चेतावनी दी कि वे अपने कर्मचारियों को संशोधित दर पर दैनिक मजदूरी का भुगतान करें. डॉ. सरमा ने कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने सात सालों में ₹96 से ₹217 तक दैनिक मजदूरी संशोधित की. उन्होंने कहा, 'नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले आपका दैनिक वेतन ₹96 था. हमने इसे ₹217 तक संशोधित किया, लेकिन कुछ चाय बागानों के मालिक संशोधन के खिलाफ उच्च न्यायालय गए. उन्होंने बड़े पैमाने पर चाय बागान के श्रमिकों को शामिल किया.


मंत्रालय करेंगे स्थापित


वहीं राज्य में आगामी चुनावों के लिए प्रचार करते हुए शीर्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यदि राज्य में कांग्रेस को वोट दिया जाता है, तो चाय श्रमिकों के लिए एक विशेष मंत्रालय स्थापित किया जाएगा. राहुल गांधी ने डिब्रूगढ़ जिले के चबुआ में दिनजो चाय एस्टेट के चाय श्रमिकों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया. राहुल गांधी ने कहा, 'चाय उद्योग के लिए, हम आपके सभी मुद्दों को हल करने के लिए एक विशेष मंत्रालय शुरू करेंगे. मैं नरेंद्र मोदी नहीं हूं, मैं झूठ नहीं बोलूंगा. आज हम आपको 5 गारंटी देते हैं. चाय श्रमिकों के लिए 365 रुपये, हम सीएए के खिलाफ खड़े होंगे, 5 लाख नौकरियां, 200 यूनिट मुफ्त बिजली और गृहिणियों के लिए 2000 रुपये.'


राहुल गांधी ने कहा, 'हमारा घोषणापत्र चाय जनजाति के लोगों के परामर्श से तैयार किया गया है और बंद दरवाजे के पीछे नहीं बनाया गया है. बीजेपी ने अपने 2016 के विजन डॉक्यूमेंट में चाय बागान श्रमिकों के लिए दैनिक वेतन के रूप में ₹351 का वादा किया था. उस समय ₹137 का मौजूदा वेतन 2015 में बढ़ाकर ₹167 कर दिया गया था. 20 फरवरी को चुनाव की तारीखों की घोषणा से एक पखवाड़े से भी कम समय में असम सरकार ने ₹217 तक वेतन बढ़ा दिया था, लेकिन भारतीय चाय संघ और 17 चाय कंपनियां अदालत में चली गईं और उन्होंने रोक लगा दी क्योंकि उन्हें सलाह नहीं दी गई थी.'


2016 में बीजेपी को वोट


बता दें कि कभी कांग्रेस के प्रति वफादार रहे बागान श्रमिकों ने 2016 में बीजेपी को बड़े पैमाने पर वोट दिया. वे राज्य के 126 विधानसभा क्षेत्रों में से 45 में एक शक्तिशाली चुनावी ताकत हैं. असम में 800 से अधिक पंजीकृत चाय बागान हैं. असम में चाय जनजातियों की आबादी लगभग 50-60 लाख है. असम के 34 जिलों में से मुख्य रूप से 26 जिलों में चाय से जुड़े लोग हैं.


वित्तीय समावेशन पहल के तहत बीजेपी सरकार ने स्वतंत्र भारत के 70 वर्षों के इतिहास में पहली बार बैंकिंग प्रणाली के तहत 7.5 लाख से अधिक टी गार्डन वर्कर्स को लाया है. बीजेपी की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने चाय जनजाति समुदाय के वित्तीय समावेशन के प्रयासों को और अधिक प्रोत्साहित करने और मजबूत करने के लिए चैथा बागीचा धन पुरस्कार मेला शुरू किया.


बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 549 चाय बागानों में पेवर ब्लॉक बिछाने का काम शुरू किया है. जिसमें कुल मिलाकर 581 करोड़ रुपये की परियोजना लागत है, जो कि चाय श्रमिकों के लिए आसान आवागमन की सुविधा प्रदान करती है और सुरक्षित है. अब तक 625 किलोमीटर लंबाई का निर्माण पूरा हो चुका है. यह आजादी के बाद पहली बार है कि किसी सरकार के जरिए चाय बागानों की श्रम लाइनों में पक्की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है.


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