नई दिल्ली: असम के एक फर्जी मुठभेड़ मामले में मेजर जनरल समेत सात को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. यह फैसला कोर्ट मार्शल के तहत सुनाया गया है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. जिन्हें कोर्ट ने सजा सुनाई है, उनमें एक मेजर जनरल, दो कर्नल और चार सेना के जवान शामिल हैं. सभी सैन्यकर्मी फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.


यह केस 1994 का है जब असम के तिनसुकिया जिले में सेना के जवानों ने संदेह के आधार पर विभिन्न इलाकों से नौ लोगों को उठाया. इनमें से पांच को प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का सदस्य बताते हुए गोली मार दी. मारे गए लोगों में एक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) का सदस्य था. सेना ने चार अन्य को छोड़ दिया था. इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कई संगठनों ने तब प्रदर्शन किये थे.


गुवाहाटी में विस्फोट में चार लोग घायल, उल्फा ने ली जिम्मेदारी


AASU के उपाध्यक्ष जगदीश भुयान ने बताया कि हमने उसी साल 22 फरवरी को गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और युवकों के गायब होने की सूचना मांगी. इसी याचिका पर हाईकोर्ट ने सेना से कहा कि वे लापता युवकों को नजदीकी कोर्ट में पेश करे. इसके बाद सेना ने तिनसुकिया के ढोला पुलिस थाने में पांच शव पहुंचाए. उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिये. हालांकि बाद में सेना ने केस खुद ले लिया और कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू की.