नई दिल्ली: पूरे देश में इस समय जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा और सियासत दोनों गरमा रही हैं. इस बीच असम ने एक कदम और बढ़ाकर जनसंख्या सेना के गठन का एलान किया है, जो मुस्लिम बहुल इलाकों में जन्म वृद्धि दर को कंट्रोल करेगी. हेमंत बिस्वा सरमा जब से असम के मुख्यमंत्री बने हैं, वो लगातार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बयान और काम दोनों करते दिख रहे हैं. ताजा एलान जनसंख्या सेना को लेकर है . 


हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य सरकार जनसंख्या सेना तैयार करेगी. सेना मुस्लिम बहुल इलाकों और ज्यादा जनसंख्या वृद्धि वाले इलाकों में तैनात होगी. जनसंख्या सेना जागरुकता फैलाने और लोगों के बीच गर्भनिरोधक बांटेगी. इसके लिए सरकार चार चपोरी क्षेत्र के 1000 युवाओं को शामिल करना चाहती है.


10 हजार आशा कार्यकर्ताओं की अलग फोर्स भी होगी तैयार 
इसके अलावा 10 हजार आशा कार्यकर्ताओं की अलग फोर्स तैयार होगी, जो घर घर जाकर बर्थ कंट्रोल पर लोगों को जागरूक करेगी. दरअसल कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद के एक सवाल के जवाब में हेमंत बिस्व सरमा ने ये जानकारी दी.


यथार्थवादी समाधान अपनाने का आह्वान
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को राजनीति से अलग करने और राज्य के मुस्लिमों के बीच समस्या को हल करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विवाह समाप्त करने और वित्तीय समावेशन पर जोर देते हुए एक यथार्थवादी समाधान अपनाने का आह्वान किया. सरमा ने कहा कि समस्या मुस्लिम बहुल जिलों में ज्यादा है.


सरमा ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि यह प्रस्ताव कांग्रेस विधायक की ओर से आया है. अगर यह मेरी ओर से आता, तो लोग कहते कि मैं राजनीति कर रहा हूं. मैं विपक्षी सदस्य को चर्चा शुरू करने के लिए धन्यवाद देता हूं क्योंकि हमारी जनसंख्या नीति मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि गरीबी विरोधी है.’’ 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि पहले के 34 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है, जबकि हिंदुओं में 19 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई है. 



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