Assam Extends AFSPA: असम के 8 जिलों में अफस्पा (AFSPA) छह महीने के लिए बढ़ाया दिया गया है. असम सरकार ने गुरुवार को कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद उसने राज्य के आठ जिलों और एक उपमंडल में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून 1958 को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. हालांकि, सरकार ने पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले से इस विवादास्पद कानून को वापस ले लिया, क्योंकि वहां की स्थिति में 'उल्लेखनीय सुधार हुआ है.'


1 अक्टूबर से लागू हुआ नया फैसला


गृह एवं राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव नीरज वर्मा ने एक आदेश में कहा कि छह महीने के लिए अफस्पा बढाए जाने का फैसला एक अक्टूबर से प्रभावी हो गया है. 15 अक्टूबर का यह आदेश गुरुवार (20 अक्टूबर) को जारी किया गया. इस आदेश में कहा गया है कि राज्य के बाकी हिस्सों से इस कानून को हटाए जाने के बाद नौ जिलों और एक उप-मंडल को एक अप्रैल से 'अशांत क्षेत्र' के रूप में रखा गया था.


असम में कब लागू हुआ था अफस्पा?


आदेश में कहा गया है, "असम में कानून और व्यवस्था और सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा से पता लगता है कि राज्य के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है...असम के राज्यपाल पश्चिम कार्बी आंगलोंग से अशांत क्षेत्र की घोषणा को वापस ले रहे हैं जो एक अक्टूबर 2022 से प्रभावी है." बता दें कि असम में यह कानून नवंबर 1990 में लागू किया गया था और उसके बाद से राज्य सरकार से समय-समय पर इसकी समीक्षा करती है और इसे हर छह महीने में बढ़ाया जाता है. 


क्या है अफस्पा?


सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम-अफस्पा (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को भारत की संसद आज से 64 साल पहले लेकर आई थी. ये सुरक्षा बलों (Security Forces) को बगैर वारंट के किसी शख्स को गिरफ्तार करने और कुछ अन्य कार्रवाइयों के साथ ही वारंट के बगैर किसी भी परिसर (Premises) में जाने या तलाशी लेने का हक देता है. ये अधिनियम अशांत इलाकों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा बलों को कुछ खास शक्तियां देता है.


इसके तहत सशस्त्र बल इस तरह के किसी भी इलाके में 5 या 5 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर रोक लगा सकते हैं. इस तरह के इलाकों में सशस्त्र बल कानून तोड़ने वाले शख्स को आगाह करने के बाद उस पर बल का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां तक की गोली भी चला सकते हैं. इस कानून के बेजा इस्तेमाल को लेकर सशस्त्र बलों पर आरोपों- प्रत्यारोप भी लगते रहे हैं. मसलन सीबीआई की जांच में सशस्त्र बलों की कई मुठभेड़ों के फर्जी पाए जाने के बाद इस पर विवाद भी गहराए हैं.


ये भी पढ़ें- विवाह समारोह के बिना शादी का रजिस्ट्रेशन अमान्य, फर्जी माना जाएगा मैरिज सर्टिफिकेट- मद्रास हाईकोर्ट


ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ विचार रखने के पक्ष में इतने लोग, न्यूज चैनलों और पोर्टल को लेकर भी सर्वे में खुलासा