असम सरकार ने कर्मचारियों के लिए जारी किया आदेश, बिजली का बिल नहीं दिया तो नहीं मिलेगा वेतन
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को कहा कि असम सरकार राज्य द्वारा वित्त पोषित विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से दो बच्चे की नीति को लागू करेगी.
![असम सरकार ने कर्मचारियों के लिए जारी किया आदेश, बिजली का बिल नहीं दिया तो नहीं मिलेगा वेतन Assam government Himanta Biswa Sarma order for employees if electricity bill is not paid then salary will not be given ann असम सरकार ने कर्मचारियों के लिए जारी किया आदेश, बिजली का बिल नहीं दिया तो नहीं मिलेगा वेतन](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/05/10/cfa100fada66208f0cc1b2b91712c456_original.webp?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम सरकार ने राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए 'नो बिजली बिल, नो सैलरी' नीति अपनाई है. इसके तहत 30 जून 2021 से पहले वेतन या वेतन बिलों के प्रसंस्करण से पहले सभी कर्मचारियों के लिए APDCL के बिजली बिल के खिलाफ देय कोई बकाया नहीं उत्पन्न किया जाएगा.
असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) के जरिए जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, 'APDCL सिस्टम के जरिए वर्तमान बिजली बिल की भुगतान रसीद को इस उद्देश्य के लिए भुगतान के प्रमाण के रूप में माना जा सकता है.' मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य में उपभोक्ताओं का एक वर्ग एपीडीसीएल को प्रति माह लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाता है.
दो बच्चे की नीति
वहीं मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को कहा कि असम सरकार राज्य द्वारा वित्त पोषित विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से दो बच्चे की नीति को लागू करेगी. सरमा ने कहा कि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति असम में सभी योजनाओं में तुरंत लागू नहीं होगी क्योंकि कई योजनाओं का संचालन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है.
उन्होंने कहा, 'कुछ ऐसी योजनाएं हैं, जिसमें हम दो बच्चे की नीति लागू नहीं कर सकते, जैसे कि स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास. लेकिन कुछ योजनाओं में, जैसे अगर राज्य सरकार आवास योजना की शुरुआत करती है तो दो बच्चे के नियम को लागू किया जा सकता है. धीरे-धीरे आगे चलकर राज्य सरकार की प्रत्येक योजना में यह लागू की जाएगी.'
मुख्यमंत्री ने उनके माता-पिता के परिवार के आकार के लिए निशाना बनाने को लेकर विपक्ष की आलोचना की. सरमा पांच भाइयों वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कहा, '1970 के दशक में हमारे माता-पिता या दूसरे लोगों ने क्या किया इस पर बात करने का कोई तुक नहीं है. विपक्ष ऐसी अजीबोगरीब चीजें कह रहा है और हमें 70 के दशक में ले जा रहा है.' पिछले महीने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले सरमा सरकारी योजनाओं के तहत फायदा लेने के लिए दो बच्चे के नियम की वकालत कर रहे हैं.
सरमा ने 10 जून को तीन जिलों में हाल ही में बेदखली के बारे में बात की थी और अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी को कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ‘‘शालीन परिवार नियोजन नीति’’ अपनाने का आग्रह किया था. सरमा ने बड़े परिवारों के लिए प्रवासी मुस्लिम समुदाय पर दोष मढ़ा था, जिस पर एआईयूडीएफ समेत विभिन्न हलकों से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी.
असम में 2018 में असम पंचायत कानून, 1994 में किए गए संशोधन के अनुसार पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और चालू अवस्था में शौचालय के साथ-साथ दो बच्चों का मानदंड है. सरमा ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने महिला शिक्षा को दी जा रही अहमियत की सराहना की है, जिसका संबंध जनसंख्या नियंत्रण के साथ है. उन्होंने कहा, 'बदरुद्दीन अजमल ने कल मुझसे मुलाकात की. उन्होंने महिला शिक्षा को हमारी तरफ से दिए जा रहे महत्व की सराहना की.'
यह भी पढ़ें: Assam HSLC HS Exam Cancelled: असम में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द, राज्य के शिक्षा मंत्री ने किया ऐलान
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)