मियां तो विदेशी! असम सरकार ने बताया कौन है स्वदेशी मुसलमान, पढ़ें पूरी लिस्ट
Assam Indigenous Muslim Survey: असम में स्वदेशी मुस्लिम आबादी के सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर राज्य के मुस्लिम समुदाय के बीच खूब चर्चा हो रही है. मियां मुसलमान समुदाय ज्यादा चिंता में है.
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Assam Swadeshi Muslim Survey: असम में इन दिनों स्वदेशी मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक सर्वे की खूब चर्चा हो रही है. इसको लेकर स्थानीय लोग असमंजस की स्थिति में हैं. स्थानीय मुसलमानों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि वो उधेड़बुन में हैं कि सरकार आखिर उनके साथ करना क्या चाहती है. उनका कहना है कि पहले तो उन्हें NRC की लिस्ट में नाम शामिल करवाने के लिए दौड़-भाग करनी पड़ी फिर अब इस सर्वे को लेकर हो रही चर्चाओं ने फिर से पशोपेश में डाल दिया है.
पूर्वोत्तर के असम में जिस सामाजिक और आर्थिक सर्वे को लेकर चर्चा हो रही है, उसको हाल ही में असम कैबिनेट ने मंजूरी दी है, जिसके तहत स्वदेशी मुस्लिम आबादी का आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण किया जाना है. अब इस सर्वे के पीछे उस लिस्ट का भी बार-बार जिक्र आ रहा है, जो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डेढ़ साल पहले जारी की थी. उस लिस्ट में बीजेपी सरकार ने पांच समुदायों को स्वदेशी असमिया मुसलमानों के तौर पर मान्यता दी थी.
असम के स्थानीय मुसलमान
जिन मुस्लिम समुदायों को बीजेपी सरकार ने मान्यता दी थी, उनमें जोलाह, गोरिया, मोरिया, सैयद और देसी समुदाय के मुस्लिम शामिल थे. देसी मुस्लिम असम के निचले इलाके में और जोलाह, गोरिया, मोरिया मुस्लिम चाय बगानों के नजदीक रहते हैं. बताया जाता है कि इन समुदायों के मुस्लिम असम का स्थानीय हैं और ये 1947 के पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश से असम नहीं आए हैं.
कौन है मियां मुसलमान?
अब जब मुस्लिम समुदाय के सर्वेक्षण की खबरें उठ रही हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोगों में भी चर्चा होने लगी हैं. बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो बंगाली मूल के मुसलमान इस सर्वे को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. बंगाली मूल के मुसलमानों को इलाके में मियां कहा जाता है. इन लोगों के पलायन का इतिहास पूर्वी पाकिस्तान यानी अब के बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है. इन्हें चरुवा और पोमपोमवा भी कहा जाता था.
हाई कोर्ट पहुंचा मामला
स्वदेशी मुस्लिम आबादी की सामाजिक-आर्थिक सर्वे को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. लाइव लॉ के मुताबिक असम सरकार को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस सर्वे से भेदभाव होगा और ये संविधान के तहत नहीं है. ये पूरा मामला ऐसे समय में सामने आ रहा है जब सीएम हिमंत बिस्वा सरमा सोमवार (12 फरवरी, 2024) को ही कहा था कि राज्य में 1.59 लाख से अधिक लोगों को अब तक विदेशी घोषित किया गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विधानसभा में विपक्षी AIUDF के विधायक अमीनुल इस्लाम के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने ये जानकारी दी.
चिंता की बात नहीं- बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि इस सर्वेक्षण से किसी को डरने की जरूरत नहीं है. असम बीजेपी के नेता प्रमोद स्वामी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, 'स्वदेशी मुसलमानों को कुछ सुविधाएं देने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है. ऐसे में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करना होगा.'
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