असम: हेमंत बिस्वा सरमा बोले- सरकार नहीं चलाएगी मदरसे और संस्कृत आश्रम, स्कूलों में बदला जाएगा
असम सरकार में शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों और संस्कृत आश्रमों को रेगुलर स्कूलों में बदलने की घोषणा की है. इस फैसले से करीब 600 मदरसे और 100 संस्कृत आश्रम प्रभावित होंगे.
गुवाहाटी: असम सरकार ने शिक्षा नीति में एक बड़े बदलाव का फैसला किया है. जिसके तहत अब सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों और संस्कृत आश्रमों को रेगुलर स्कूलों में बदला जाएगा. राज्य शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को इसी घोषणा की है. सरकार के इस फैसले से करीब 600 मदरसे और 100 संस्कृत आश्रम प्रभावित होंगे.
हेमंत विश्व सरमा ने कहा कि मदरसों और आश्रमों को उच्च और उच्च माध्यमिक स्कूलों में बदला जाएगा. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि सरकार को धार्मिक शिक्षा लेने वाले प्राइवेट मदरसों और आश्रमों से कोई दिक्कत नहीं हैं.
धार्मिक शिक्षा का दायित्व टीचर्स के हवाले
उन्होंने आगे कहा कि धर्म शास्त्रों और अन्य धार्मिक शिक्षा का दायित्व फिलहाल इन संस्थाओं में काम करने वाले टीचर्स ही संभालेंगे. ये टीचर्स रिटायरमेंट होने तक अपने-अपने विषयों को पढ़ाते रहेंगे. हालांकि शिक्षा मंत्री द्वारा ऐसा निर्णय पहली बार नहीं लिया गया है. मई 2017 में असम में बीजेपी सरकार आने के बाद से वो लगातार ऐसा कर रहे हैं. मंत्री की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए असम संस्कृत आश्रम वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश रॉय ने कहा कि सरकार के इस फैसले से संस्कृत विषय लुप्त हो जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य में संस्कृत भाषा की शिक्षा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.
असम से संस्कृत भाषा हो जाएगी लुप्त
महेश रॉय का मानना है कि सरकार के इस फैसले के बाद असम से यह भाषा पूरी तरह लुप्त हो जाएगी. उन्होंने सरकार के इस फैसले की वजह को जानने से इनकार किया. वहीं गुवाहाटी विश्वविद्यालय में आबिक विभाग के प्रोफेसर मिजाजुर रहमान तालुकदार ने कहा कि मदरसों में पढ़ाए जाने वाले विषय राज्य शिक्षा बोर्ड के निर्देशों के अनुरूप थे.
तालुकदार ने कहा कि मदरसा बोर्ड नया नहीं है. इसकी स्थापना 1934 में हुई थी. तालुकदार ने कहा कि मंत्री का यह कहना कि धार्मिक शिक्षा देना सरकार का कर्तव्य नहीं है, सही नहीं है. क्योंकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में भी धार्मिक शिक्षा दी जाती है.
मदरसा शिक्षा धर्मनिरपेक्ष का प्रतीक
तालुकदार ने कहा कि असम में सरकारी सहायता से मदरसों में केवल दसवीं तक की ही शिक्षा दी जाती है. जिसकी प्रक्रति राज्य शिक्षा बोर्ड के प्रावधानों के अनुसार धर्मनिरपेक्ष है.
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