(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Assam: उत्तर पूर्वी क्षेत्र में धरातल पर कितना हुआ काम? क्या हैं मुख्य समस्याएं? असम के मंत्री अशोक सिंघल ने बताया
Assam Minister On Development: असम के मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि बीजेपी की सरकार लोगों को मकान उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है. ब्रह्मपुत्र नदी पर 2 नए पुल बनाए जा रहे हैं.
Assam Minister Ashok Singhal on Development: असम सरकार में कैबिनेट मंत्री अशोक सिंघल (Ashok Singhal) ने प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों को लेकर एबीपी न्यूज से बातचीत की. कछार के संरक्षक मंत्री अशोक सिंघल ने असम (Assam) में हो रहे विकास कार्यों (Development Work) को लेकर दावा किया कि इस क्षेत्र में तेजी से काम किया जा रहा है. हमारा काम सिर्फ बातों में नहीं है. काम धरातल पर दिखाया जा रहा है. ऐसा भी वक्त रहा जब असम भीषण बाढ़ (Assam Flood) का सामना करता था. जिसके बाद भारी संख्या में लोगों के घर तबाह हो जाते थे. भारी मात्रा में बारिश होती थी और गरीब लोगों के घर पानी से भर जाते थे.
असम के मंत्री अशोक सिंघल (Ashok Singhal) ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने ऐसे ही लाखों लोगों को मकान उपलब्ध कराकर उनकी मदद के लिए बेहतर काम किया है. इस वित्तीय वर्ष में 12 लाख 21 हजार लोगों को घर उपलब्ध कराने की पहल शुरू हो गई है. इस पहल से मुझे लगता है कि निकट भविष्य में हर वह व्यक्ति जो अपना घर खो चुका था, उसे फिर से वापस मिलेगा. सड़कों को लेकर पहले काफी परेशानी थी. ब्रह्मपुत्र वास्तव में एक बड़ी नदी है जो असम के बीच से बहती है.
असम में धरातल पर कितना हुआ विकास?
ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra River) में पिछले 6 सालों में 2 नए पुल बनाए जा रहे हैं. हमने सड़कों को पक्का कर दिया है. अशोक सिंघल ने आगे कहा कि सभी कोनों से उत्तर पूर्व, हमारे पास अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर हैं. यह एक रणनीतिक स्थान है इस वजह से अच्छी सड़कें, अच्छे राजमार्ग, बंदरगाह, सभी की जरूरत थी. लोग कह रहे थे कि इस पर कोई काम नहीं कर रहा है.
पूर्वोत्तर क्षेत्र में भूस्खलन बड़ा मुद्दा
अशोक सिंघल ने भूस्खलन के मसले पर एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि हिमालय की गोद में बसे पूर्वोत्तर के पहाड़ जितने मज़बूत हैं, उतने ही मिट्टी के बने और कमज़ोर भी. ऐसे में जितनी बार भी यहां रास्तों के लिए कटाव किया जाता है तो भूस्खलन का खतरा बरक़रार रहता है. कुछ पर्यावरणविदों ने इस पर सवाल भी उठाया है कि अगर विकास कार्य इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो पर्यावरण के साथ छेड़खानी होगी और इस छेड़खानी का खामियाज़ा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना होगा. विकास जितना जरुरी है उतना ही पर्यावरण भी. ऐसे में दोनों को एक साथ हाथ में हाथ मिला कर चलना सबसे जरुरी हो जाता है.
शांतिपूर्ण बातचीत से समस्या का हल?
अशोक सिंघल ने आगे कहा कि शांतिपूर्ण बातचीत से कोई भी समस्या हल हो सकती है. हम नहीं चाहते हैं कि दो पड़ोसी देश जमीन के लिए लड़ें, यह अच्छा नहीं लगता. पीएम मोदी के शासन में देश विकास कर रहा है. हमारे मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा की शासन शक्ति की मदद से हम इन विवादों को हल करने में सक्षम हो रहे हैं. एक राजनेता के रूप में वह इन विवादों को सुलझाने के लिए अन्य राज्य के अधिकारियों से बात करते हैं. राज्य बनने के बाद 50 साल से जो विवाद चल रहे हैं, उनमें से 60% शांतिपूर्ण बातचीत के साथ पहले ही हल हो चुके हैं. और सब कुछ कागजों पर है, अब यह समय के साथ है कि इन विवादों को कितनी तेजी से सुलझाया जाएगा.
उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सड़क और हाइवे निर्माण में खर्च?
•अरुणाचल प्रदेश - 698 करोड़ (2016-2017), 792 करोड़ (2017-2018), 514 करोड़ (2018-2019), 545 करोड़ (2019-2020), 1,191 करोड़ (2020-2021)
•असम - 455 करोड़, 595 करोड़ (2017-2018), 1,050 करोड़ (2018-2019), 976 करोड़ (2019-2020), 828 करोड़ (2020-2021)
•मणिपुर - 41 करोड़, 75 करोड़ (2017-2018), 273 करोड़ (2018-2019), 394 करोड़ (2019-2020), 159 करोड़ (2020-2021)
•मेघालय - 486 करोड़, 86 करोड़ (2017-2018), 121 करोड़ (2018-2019), 53 करोड़ (2019-2020), 96 करोड़ (2020-2021)
•मिजोरम - 260 करोड़, 392 करोड़ (2017-2018), 617 करोड़ (2018-2019), 251 करोड़ (2019-2020), 177 करोड़ (2020-2021)
•नागालैंड - 59 करोड़, 67 करोड़ (2017-2018), 254 करोड़ (2018-2019), 442 करोड़ (2019-2020), 537 करोड़ (2020-2021)
•सिक्किम - 78 करोड़, 243 करोड़ (2017-2018), 192 करोड़ (2018-2019), 75 करोड़ (2019-2020), 338 करोड़ (2020-2021)
•त्रिपुरा - 17 करोड़, 65 करोड़ (2017-2018), 54 करोड़ (2018-2019), 114 करोड़ (2019-2020), 49 करोड़ (2020-2021)
कुल मिलाकर 2016 से 2021 तक केंद्र सरकार (Union Govt) की ओर से पूर्वोत्तर भारत (North East India) में सड़क परिवहन और राजमार्ग बनाने के लिए लगभग 13,711 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
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