असम और मिजोरम के बीच जारी सीमा विवाद और हिंसक घटना के बाद असम सरकार की तरफ से गुरूवार को एडवाइजरी जारी की गई है. हालांकि, इसके एक दिन बार असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि मिजोरम जाने के लिए असम सरकार की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने लोगों को यह सलाह दी है कि वे मिजोरम जाने से पहले एक बार जरूर सोच लें, क्योंकि वहां के लोगों के हाथों में हथियार है और यह तब तक रहेगा जब तक वहां की सरकार जब्त नहीं कर लेती है.


एडवाइजरी में हिंसा की घटना का जिक्र करते हुए कहा गया है- ''इस घटना के बाद भी, कुछ मिज़ो सिविल सोसाइटी, छात्र और युवा संगठन लगातार असम राज्य और उसके लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान जारी कर रहे हैं. असम पुलिस के पास उपलब्ध वीडियो फुटेज से यह पता चला है कि कई नागरिक स्वचालित हथियारों आदि से लैस हैं. इन्हें कारणों से ट्रेवल एडवाइजरी जारी किया गया है.''






गौरतलब है कि विवाद के बीच मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों की एक टीम पर सोमवार को गोलीबारी कर दी थी. जिसमें में असम पुलिस के पांच कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी. एक पुलिस अधीक्षक सहित 50 से अधिक अन्य लोग जख्मी हो गए थे.


इस हिंसा के बाद बुधवार को मिजोरम और असम के अधिकारियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने करीब दो घंटे तक बैठक की. इस बैठक में दोनों राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर अशांत अंतरराज्यीय सीमा पर तटस्थ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती के लिए सहमति जताई.


असम के बराक घाटी के जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी की मिजोरम के तीन जिलों आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आठ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की थी और सीमा विवादों को सुलझाने की जरूरत को रेखांकित किया था, जिसके दो दिन बाद यह घटना हुई थी.


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