नई दिल्ली: क्या मुसलमानों की वजह से देश की आबादी बढ़ रही है. ये सवाल आज बीजेपी के एक सांसद ने उठाया है. देश में चालीस लाख लोगों का मुद्दा गर्म है. बीजेपी जिसे घुसपैठिया कह रही है ममता बनर्जी उसे वोटर बता रही है. सवाल ये है कि वो 40 लाख लोग कहां जाएंगे जिनका नाम असम की नागरिकता की लिस्ट में नहीं है.


रजिस्टर में नाम न पाने वाले 40 लाख लोग वोटर- ममता


बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे देश में बढ़ती मुस्लिम आबादी के लिए घुसपैठियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी तो उन 40 लाख लोगों को वोटर बता रही हैं जिनका नाम नागरिक रजिस्टर में नहीं है.


ममता के इस बयान पर बीजेपी सांसद परेश रावल ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘’2019 का पहला रुझान आ गया है. विपक्ष 40 लाख वोटों से पीछे चल रहा है.’’ सोशल मीडिया और सड़क जुबानी जंग हो रही है तो उधर संसद में भी इस मुद्दे पर हंगामा थम नहीं रहा.


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कोलकाता में बीजेपी के सैकडों कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी के खिलाफ प्रदर्शन करके विरोध जताया है. ममता नागरिकता के मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति में जुटी हैं. आज पार्टी ने अपना एक प्रतिनिधिमंडल असम भेजा था लेकिन एयरपोर्ट पर सिलचर में सबको रोक लिया गया.


चालीस लाख लोग रहेंगे कहां?


देश में कोई दोहरी नागरिकता का प्रवाधान नहीं है. यानी जो असम में भारत का नागरिक नहीं कहलाएगा वो देश के किसी भी कोने में भारत का नागरिक होने का दर्जा नहीं पाएगा. ऐसे में सवाल ये है कि चालीस लाख लोग रहेंगे कहां?


त्रिपुरा में भी नागरिकता का मुद्दा गर्म 


असम के पड़ोसी राज्य त्रिपुरा में भी नागरिकता का मुद्दा गर्म हो गया है. सीएम बिप्लब देब का मानना है कि यहां सब ठीक है लेकिन सरकार में शामिल आईपीएफटी चाहती है कि यहां भी नागरिकता की पहचान की जाए. त्रिपुरा की आबादी 2011 में 36 लाख थी. इस वक्त आबादी करीब 42 लाख से ज्यादा हो चुकी है. और ऐसा नहीं है कि यहां से घुसपैठ की खबरें नहीं आती. बताया जाता है कि 1971 की लड़ाई के बाद बड़े पैमाने पर लोग त्रिपुरा में आकर बसे थे. इसके बाद भी आना जारी रहा.


क्या है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?

असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. एनआरसी का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.


नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.



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