CAA लागू होने पर UOFA ने दी असम बंद की चेतावनी, डीजीपी बोले- आंदोलनकारियों से वसूला जाएगा नुकसान का पैसा
CAA Protest Case: संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने सीएए लागू होने पर राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है. असम में तिनसुकिया समेत कई राज्यों में इस अधिनियम को निरस्त करने की मांग की गई.
Citizenship Amendment Act: असम के विपक्षी दलों की ओर से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू होने पर राज्यव्यापी बंद की धमकी देने के एक दिन बाद पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार (29) को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि इससे प्रतिदिन 1,643 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान होने का अनुमान है, जिसकी वसूली आंदोलन के आयोजकों से की जा सकती है.
'आंदोलनकारियों से वसूला जाएगा पैसा'
विपक्षी गठबंधन इंडिया की तर्ज पर राज्य में गठित संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने बुधवार (28 फरवरी) को घोषणा की थी कि विवादास्पद अधिनियम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद बुलाया जाएगा. सोशल मीडिया मंच पर एक्स पर एक पोस्ट में, डीजीपी ने साल 2019 में बंद पर सुनाए गए गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के दो पेज शेयर किए और जून 2022 के मुद्दे पर अपना बयान फिर से पोस्ट किया.
उन्होंने कहा ''कहने की जरूरत नहीं है कि असम की जीएसडीपी 5,65,401 करोड़ रुपये आंकी गई है. एक दिन के बंद से लगभग 1,643 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जो माननीय गुवाहाटी हाई कोर्ट के उपरोक्त आदेश के पैरा 35(9) के अनुसार ऐसे बंद का आह्वान करने वालों से वसूला जाएगा.''
अखिल गोगोई ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा
डीजीपी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया जताते हुए राइजोर दल के प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि यदि सीएए नहीं लागू किया जाता है तो कोई समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘‘आप (केंद्र) एक दमनकारी कानून लाएंगे और अगर हम विरोध करते हैं तो हमें नुकसान के लिए दंडित किया जाएगा. इस नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन होगा? बीजेपी या हम? वे 15-20 लाख बांग्लादेशियों को नागरिकता देने की योजना बना रहे हैं और हम विरोध तक नहीं कर सकते?’’
उन्होंने कहा, "यह डीजीपी कौन हैं? अगर वह राज्य को होने वाले वित्तीय नुकसान के बारे में इतने चिंतित हैं तो वह केंद्र से इस कानून को वापस लेने के लिए क्यों नहीं कहते?" गोगोई ने 2019 के हिंसक सीएए विरोधी आंदोलन में अपनी कथित भूमिका के लिए 567 दिन जेल में बिताए थे. बाद में एक विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था.
असम के कई जिलों में किया जा चुका है प्रदर्शन
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, जैन, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को यहां पांच साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है.
इस बीच, कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और सत्र मुक्ति संग्राम समिति (एसएमएसएस) के कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी और तिनसुकिया जैसे अपर असम के जिलों सहित कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और अधिनियम को निरस्त करने की मांग की. केएमएसएस और एसएमएसएस राइजोर दल के सहयोगी संगठन हैं.
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