गुवाहटी: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में असम में लाखों प्रदर्शनकारी बुधवार को सड़कों पर उतर आए. इसके साथ ही राज्य सरकार के कर्मचारियों ने भी काम रोक दिया, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ. अखिल असम छात्र संघ (आसू) द्वारा आहूत गण सत्याग्रह के तीसरे और अंतिम दिन शहर में लाटासिल प्लेग्राउंड से दिगलीपुखुरी तक मार्च करने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी गिरफ्तारी दी.


अपने पारंपरिक परिधान मेखेला चादर’पहनीं महिलाएं मार्च के दौरान जय आई असम (असम माता की जय) का नारा लगाते हुए आगे चल रही थीं. मारवाड़ी युवा मंच, पूर्वोत्तर हिंदुस्तान समाज के सदस्यों के साथ-साथ मुस्लिमों, गोरखाओं, सिखों, जैनों जैसे समुदायों के प्रतिनिधियों ने भी यहां विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.


जन सत्याग्रह में भाग लेने के लिए जोरहाट, गोलाघाट, लखीमपुर, सिबसागर, धेमाजी, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, बारपेटा, मोरीगांव और बोंगाईगांव जिलों में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे, जिसके चलते सड़क यातायात बाधित हुआ.


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सदौ असम कर्मचारी परिषद और असम सचिवालय सेवा संघ के तत्वावधान में असम सरकार के कर्मचारियों ने नागरिकता कानून के विरोध में हड़ताल किया. प्रमुख साहित्यिक संगठन असम साहित्य सभा ने एक धरना आयोजित किया और बाद में संशोधित नागरिकता अधिनियम को वापस लेने की मांग करते हुए एक जुलूस निकाला.


विरोध प्रदर्शन में वकीलों, डॉक्टरों, छात्रों, कलाकारों और साहित्यकारों ने भाग लिया. आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि गण सत्याग्रह बुधवार को संपन्न हो गया, ''हम इस अधिनियम को वापस नहीं लिए जाने तक राज्य भर में अपना आंदोलन जारी रखेंगे.''