असम कैबिनेट ने सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज एक विधेयक पेश किया जाएगा. हेमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर बताया कि वह विधानसभा में मदरसों को लेकर विधेयक पेश करेंगे, इसके पास होने के बाद राज्य में सरकारी मदरसों का संचालन बंद हो जाएगा.


असम में 610 सरकारी मदरसे हैं
शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व के मुताबिक़ कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर प्रति वर्ष 260 करोड़ रुपये खर्च करती है, राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा, सभी सरकारी मदरसे को उच्च विद्यालयों में तब्दील कर दिया जाएगा और वर्तमान छात्रों के लिए नया नामांकन नियमित छात्रों की तरह होगा. सरमा के मुताबिक संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा.


बीजेपी नेता ने कहा था- निजी मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा
शिक्षा मंत्री के मुताबिक़ संस्कृत स्कूलों के ढांचे का इस्तेमाल उन्हें भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद के शिक्षण एवं शोधन केंद्रों की तरह किया जाएगा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लश्कर ने कहा था कि निजी मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा, लश्कर ने नवंबर में कछार जिले में एक मदरसे की आधारशिला रखते हुए कहा था कि इन मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि इन्होंने मुस्लिमों को जिंदा रखा है,

असम मे चलते हैं दो तरह के मदरसे
आपको बता दें कि असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले और दूसरे वो जो निजी संगठन चलाते हैं, सरकारी मदरसों को राज्य सरकार हर साल ग्रांट देती है, जबकि प्राइवेट मदरसे अपने खर्च पर संचालित होते हैं, सरकार ने सरकारी मदरसों को बंद करने का ऐलान किया था.


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